प्रदेश के सभी 84 नगर निकायों में सरकार प्रशासक नियुक्त करने की तैयारी में जुट गई है। इसके लिए शहरी विकास निदेशालय ने शासन को प्रस्ताव भेज दिया है, जिस पर शासन जल्द निर्णय ले सकता है।
दो दिसंबर से आगामी छह माह या नए बोर्ड के गठन तक ये प्रशासक नियुक्त होंगे। शहरी विकास निदेशालय के मुताबिक, वर्ष 2018 में निर्वाचित 84 नगर निकायों (नए निकाय गठन के बाद संख्या बढ़ी) का कार्यकाल एक दिसंबर 2023 को पूरा हो रहा है।
निदेशालय ने निकायों का परिसीमन राज्य निर्वाचन आयोग को भेजा था, जिसके तहत मतदाता सूची बनाने की प्रक्रिया चल रही है। फरवरी के पहले सप्ताह में आयोग अंतिम मतदाता सूची प्रकाशित करेगा। उधर, एकल सदस्यीय समर्पित आयोग की ओर से निकायों में ओबीसी सर्वेक्षण कराया जा रहा है, जिसकी रिपोर्ट अभी तक प्राप्त नहीं हुई है।
इस आधार पर निदेशालय ने यूपी नगर पालिका अधिनियम 1916 (उत्तराखंड में यथाप्रवृत्त) और यूपी नगर निगम अधिनियम 1959 (उत्तराखंड में यथाप्रवृत्त) के तहत नगर निकायों में प्रशासक तैनात करने की सिफारिश की है। ये प्रशासक जिलाधिकारी या उनके स्तर से नामित अधिकारी होंगे जो एसडीएम से नीचे का न हो। अपर निदेशक अशोक कुमार पांडेय की ओर से इसका प्रस्ताव शासन को भेजा गया है।
नगर निगम, उसके नगर प्रमुख, उप नगर प्रमुख, वार्ड समिति, कार्यकारिणी विकास समिति व अन्य सभी समितियों की शक्तियां प्रशासक के अधीन होंगी। प्रशासक सभी निकायों से संबंधित काम करेगा। कहीं कोई विकास कार्य, विभिन्न भुगतान आदि के सभी कार्य प्रशासक के माध्यम से ही हो पाएंगे।
लग भग 6 माह के लिए लटके चुनाव
नगर निगमों, पालिका और नगर पंचायतों के चुनाव फिलहाल लटके हुए हैं। ओबीसी आयोग दिसंबर तक अपनी रिपोर्ट सौंपेगा, जिस पर सरकार निर्णय लेगी। वहीं, फरवरी तक राज्य निर्वाचन आयोग मतदाता सूची तैयार करेगा। इस लिहाज से मार्च या इसके बाद ही चुनाव हो सकते हैं। चूंकि, उस दौरान लोकसभा चुनाव भी हैं, इसलिए फिलहाल लोकसभा चुनाव बाद ही निकाय चुनाव होने की संभावना है।
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