अब आम जनता के लिए खुला रहेगा देहरादून स्तिथ 186 साल पुराना राष्ट्रपति आशियाना !!

देहरादून के राजपुर रोड पर स्थित एतिहासिक राष्ट्रपति आशियाना आगामी अप्रैल माह से आम लोगों के लिए खुल जाएगा। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के निर्देश पर शनिवार को राष्ट्रपति सचिवालय के अधिकारियों ने देहरादून पहुंच, राज्य सरकार के अधिकारियों के साथ बैठक कर, आशियाना में जनता के लिए आवश्यक सुविधाएं जुटाने के निर्देश दिए हैं।

राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के निर्देश पर अब देहरादून स्थित 186 साल पुराने, राष्ट्रपति आशियाना को आम लोगों के लिए खोला जा रहा है। 21 एकड़ क्षेत्रफल में फैले इस परिसर का इस्तेमाल अभी राष्ट्रपति बाडीगॉर्ड (पीबीजी) द्वारा किया जा रहा है। जानकारी के अनुसार आम लोग परिसर के मुख्य भवन तक प्रवेश कर सकेंगे। इस दौरान लोगों को राष्ट्रपति आशियाना के साथ ही भारतीय सेना की 251 साल पुरानी रेजीमेंट पीबीजी के इतिहास और इसके 186 साल पुराने अस्तबल से रूवरू होने का भी मौका मिलेगा व सैर के मध्य लोग परिसर के खूबसूरत बाग, कैफेटिरिया का भी आनंद उठा सकेंगे।

राष्ट्रपति आशियाना का इतिहास

भारतीय सेना की सबसे पुरानी रेजीमेंट है प्रेसीडेंट बॉडीगार्ड, जिसकी स्थापना 1773 में भारत के तत्कालीन गवर्नर जनरल वारेन हेस्टिंग्स ने की। 1859 में इसे वायसराय बॉडीगार्ड नाम दिया, जिसे बाद में द प्रेसीडेंट बॉडीगार्ड में तब्दील कर दिया गया। राष्ट्रपति के अंगरक्षकों की घोड़ा गाड़ी के लिए दून में पहली बार 1938 में ग्रीष्मकालीन शिविर स्थापित किया गया। हालांकि, इससे पहले 1920 में यहां राष्ट्रपति के अंगरक्षकों के कमाडेंट का बंगला स्थापित कर दिया गया था। आजादी के पश्चात करीब 175 एकड़ में फैला यह क्षेत्र द प्रेसीडेंट बॉडीगार्ड स्टेट के रूप में जाना गया।

दून की बेहतरीन आबोहवा को देखते हुए हुए वर्ष 1975-76 में जब तत्कालीन राष्ट्रपति फखरुद्दीन ने ग्रीष्मकालीन दौरे के लिए दून का चुनाव किया तब कमांडेंट बंगले का जीर्णोद्धार किया गया और नाम रखा आशियाना। तब से दून आने वाले राष्ट्रपति इसी आवास में ठहरते थे। वर्ष 1998 में तत्कालीन राष्ट्रपति केआर नारायणन इस बंगले में ठहरने वाले आखिरी राष्ट्रपति थे।

2014 में इस विरासत को संवारने का निश्चय किया गया और केंद्रीय भवन अनुसंधान संस्थान की सलाह पर मई 2015 में यहां सर्वे किया गया। जीर्णोद्धार में भूकंपरोधी सरंचनाओं और पुनर्नवीकरण प्रावधानों का ध्यान रखा गया। करीब डेढ़ करोड़ की लागत से दो साल में इसे बिल्कुल नया रूप दे दिया गया। राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने उत्तराखंड यात्रा के पहले दिन इसी भवन का उद्घाटन किया। उत्तराखंड प्रवास के दौरान वह यहीं रहेंगे।