उत्तराखंड पुलिस में सीधी भर्ती के 3500 पद खत्म करने का जिम्मेदार कौन ?, क्या ऐसे निकाला गया 4600 ग्रेड पे न देने का रास्ता !!

उत्तराखंड पुलिस विभाग में नया पद सृजित करने के साथ साथ सीधी भर्ती के आरक्षी रैंक के 3,500 पद समर्पित / सरेंडर करने की चर्चा आज कल जोरों शोरों पर हैं।

जहां एक तरफ इस प्रकरण में पुलिस मुख्यालय की ओर से हर दिन अलग अलग बातें निकल कर आ रही है, वंही दूसरी ओर पुलिस मुख्यालय के प्रस्ताव पर शासन द्वारा जारी आदेश कुछ और कहानी बयां कर रहे है।

बता दें कि हेड कांस्टेबल, एडिशनल सब इंस्पेक्टर यानी अपर उपनिरीक्षक के 35 सौ पद बढ़ाकर पुलिस विभाग ने बेरोजगारों को झटका दे दिया है। अब आप सोचेंगे कि पद बढ़ाने से तो बेरोजगारों को फायदा होगा तो यह कैसा झटका है।

दरअसल, इन पदों को सीधी भर्ती वाले कांस्टेबल के 35 सौ पद सरेंडर करके बढ़ाया गया है। यानी कांस्टेबलों के 35 सौ पद सीधे तौर पर कम हो गए।

हाल में पुलिस विभाग ने एएसआई के एक हजार सात सौ पचास नए पद सृजित किए। जबकि, हेड कांस्टेबल के 1750 पद भी बढ़ाए गए। इन पदों पर कांस्टेबल और हेड कांस्टेबल को प्रमोट किया गया। यानी कुल 35 सौ पद तो नए बने, लेकिन सीधी भर्ती वाले कांस्टेबल के 17 हजार 503 पदों में से 3500 पद सरेंडर करके। यानी सीधी भर्ती के 3,500 पदों को ही एएसआई और हेड कांस्टेबल के पदों में बदल दिया गया।

अब पुलिस में कांस्टेबल के कुल पद केवल 14003 ही रह गए हैं। यानी 35 सौ पदों पर सीधी भर्ती का रास्ता खत्म हो गया। इसे लेकर युवाओं में रोष है। उन्होंने इसे धोखा बताते हुए सरकार से सरेंडर पद दोबारा सृजित करने की मांग उठाई है।

इस लिए बनाया गया ASI का नया पद

विगत कुछ साल से 2001 व 2002 बैच के कॉन्स्टेबल छठे वेतन आयोग की रिपोर्ट के नियमानुसार 4600 ग्रेड पे की मांग कर रहे थे, लेकिन शासन स्तर पर वित्त विभाग ने इसकी अनुमति नही दी। जिस कारण प्रदेश में पहली बार पुलिस बल के परिजनों को सड़क पर उतर कर प्रदर्शन करना पड़ा। हालात बिगड़ता देख पुलिस मुख्यालय व सचिवालय के सक्षम अधिकारियों की रिपोर्ट पर मंत्रिमंडल ने ASI पद सृजित करने का निर्णय लिया। जिससे इन कॉन्स्टेबलों को सीनियोरिटी के आधार पर रैंक में प्रोमोशन तो मिला लेकिन 4600 ग्रेड पे नही दिया गया।

थाने – चौकियों में पुलिसकर्मियों की कमी

बड़ी संख्या में ASI व हेड कॉन्स्टेबलों के पदों पर प्रोमोशन करने से मानो थाने – चौकियों में कॉन्स्टेबलों की अचानक से कमी ने पुलिस मुख्यालय के होश उड़ा दिए। जिस कारण इसकी पूर्ति करने के लिए पुलिस विभाग को थाने – चौकियों पर बड़ी संख्या में PRD व होमगार्ड के जवान तैनात करने पड़े हैं। इस वक्त आलम यह है कि देहरादून शहर के कई थानों में मुजरिम ड्यूटी, चीता ड्यूटी, बीट गश्त सहित अन्य सभी निचले स्तर के कामों के लिए प्रभारी को PRD व होमगार्ड का सहारा लेना पड़ रहा है।

बता दें कि इतनी बड़ी संख्या में ASI व हेड कॉन्स्टेबलों के पदों पर प्रोमोशन करने से व उनके स्थान पर नए सिपाहियों की तैनाती न होने से अधिकतर ड्यूटी का बोझ बचे कुचे कांस्टेबलों पर आ गया है।

खैर अगले 9 से 10 महीने में नए भर्ती हुए कॉन्स्टेबलों की ट्रेनिंग पूरी होने के पश्चात यह दिक्कत थोड़ी कम जरूर होगी लेकिन 3500 पद समर्पित करने का असर आजीवन इस पुलिस विभाग को झेलना पड़ेगा। जिसका जिम्मेदार कौन है यह सवाल का जवाब हम उत्तराखंड पुलिसकर्मियों व अपने पाठकों पर छोड़ते हैं।