क्या इन IAS, IPS व PCS के साथ हुई ऑफिसर्स कॉलोनी के नाम पर ठगी ?, अधिवक्ता ने लगाए गंभीर आरोप, यह था प्रकरण !!

इस प्रकरण की शुरुवात तब होती है जब देहरादून की पॉश उषा कॉलोनी की तर्ज पर देहरादून स्तिथ पौंधा क्षेत्र में दिशा ऑफिसर्स कॉलोनी व दिशा सोसाइटी के नाम पर प्लॉट बेचने का सिलसिला शुरू होता है। एक एक कर कई IAS, IPS व PCS अधिकारी अपनी जमा पूंजी से घर बनाने हेतु वहां प्लाट खरीदतें हैं।

कहानी में ट्विस्ट तब आता है जब अधिवक्ता विकेश नेगी उक्त प्लाटिंग के सम्बंध में RTI लगाते हैं और उन्हें चौकाने वाले दस्तावेज प्राप्त होते हैं।

अधिवक्ता विकेश नेगी के अनुसार दिशा ऑफिसर कोलोनी के अधिकतर प्लाट गोल्डन फारेस्ट व हरिजन SC की जमीन पर है, जिसे ब्यूरोक्रेट्स को बेचा गया। सोसाइटी के अधिकतर जमीन का हिस्सा जिस फर्म से खरीदा गया, उस फर्म के मालिक की मृत्यु पहले ही हो चुकी थी, व उक्त फर्म की फर्जी पावर ऑफ अटॉर्नी बना कर जमीन खरीदी व आगे अधिकारियों को बेची गयी। विकेश नेगी ने यह भी आरोप लगाया कि 1997 में SC एक्ट के एक मामले में उक्त जमीन का अधिकतर हिस्सा पहले ही सरकार में निहित हो गया था।

बता दें कि इनमें से लगभग सभी अधिकारियों ने जमीन खरीदने के तुरंत पश्चात अपनी ITR में इसका जिक्र कर दिया गया था। DOON MIRROR को पड़ताल में यह भी पता चला है कि इन अधिकारियों को बेचे गए कुछ प्लाट पर कोई विवाद नही हैं, लेकिन अधिकतर प्लाट विवादों के घेरे में हैं।

खैर अधिकारियों द्वारा घर बनाने हेतु जमीन क्रय करना कोई गलत नही है, लेकिन जब अधिकतर सोसाइटी व कॉलोनी की जमीन पर अब आरोप लग रहे हों व विवाद छिड़ा हो तो इन अधिकारियों का नाम आगामी दिनों में उछलना तय है।

जहां एक तरफ अधिकारियों ने अपनी जमा पूंजी से अपने अपने नाम से जमीन खरीदी है तो वंही कुछ ऐसे भी अधिकारी हैं जिन्होंने अन्य प्रदेशों के रिश्तेदारों के नाम से भी यहां जमीन खरीदी है। बता दें एक तेज तर्रार महिला ब्यूरोक्रेट ने 2 बड़े प्लॉट अपने पति व देवर के नाम से लिए तो एक भारी भरकम फारेस्ट के एक अधिकारी को गिफ्ट डीड में एक प्लाट पिता के नाम पर मिला है।

अब आगामी दिनों में देखना होगा कि गढ़वाल कमिश्नर के आदेशों पर पूर्व में शुरू हुई जांच में यह आरोप कितने हद तक सिद्ध होते हैं व क्या जमा पूंजी से खरीदी गई जमीन पर यह अधिकारी अपना अपना आशियाना बना पाएंगे या फिर अधिवक्ता विकेश नेगी की PIL फ़ाइल होते ही उक्त जमीन कोर्ट कचहरी के चक्करों में ही उलझ जाएगी।