VPDO पेपर लीक करने वाले 6 घोटालेबाजों को उत्तराखंड STF ने किया गिरफ्तार, 15 लाख में बना देते थे VPDO अधिकारी !!

उत्तराखंड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग की परीक्षा में पेपर लीक के मामले में एसटीएफ ने छह आरोपियों को गिरफ्तार किया है। इनमें आयोग का गोपनीय कार्य करने वाली आउटसोर्स कंपनी का कंप्यूटर प्रोग्रामर, आयोग से निष्कासित पूर्व पीआरडी कर्मचारी और कोचिंग सेंटर का डायरेक्टर भी शामिल है। कंप्यूटर प्रोग्रामर ने ही पेपर लीक कर अन्य आरोपियों को उपलब्ध कराया था। इसके एवज में उसे 60 लाख रुपये मिले थे। एसटीएफ ने आरोपियों के पास से 37.10 लाख रुपये बरामद किए हैं। 

आयोग ने दिसंबर 2021 में 916 पदों के लिए विभिन्न विभागों में स्नातक स्तरीय परीक्षाएं कराई थीं। इसमें लगभग दो लाख अभ्यर्थी शामिल हुए थे। एक लाख साठ हजार अभ्यर्थियों ने परीक्षा पास की थी। परिणाम आने के बाद कई छात्र संगठनों ने सवाल खड़े किए थे।

दो दिन पहले बेरोजगार संघ के एक प्रतिनिधिमंडल ने परीक्षा में गड़बड़ी को लेकर मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को ज्ञापन सौंपकर जांच की मांग की थी। मुख्यमंत्री ने डीजीपी को मामले में उचित कार्रवाई के निर्देश दिए थे।

मामले की जांच एसटीएफ को सौंपी

डीजीपी के आदेश पर तत्काल रायपुर थाने में मुकदमा दर्ज कर मामले की जांच एसटीएफ को सौंपी गई। इसके बाद एसटीएफ के डीआईजी सेंथिल अबूदई कृष्णराज एस ने एसएसपी एसटीएफ अजय सिंह के नेतृत्व में अलग-अलग टीमें बनाकर मामले का खुलासा करने के निर्देेश दिए थे। एसटीएफ ने रविवार को परीक्षा में गड़बड़ी करने वाले छह आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया।

इन आरोपितों को किया गया गिरफ्तार

  •  जयजीत सिंह निवासी पंड़ितवाडी कैंट देहरादून (कंप्यूटर प्रोग्रामर)
  •  मनोज जोशी निवासी ग्राम मयोली जिला अल्मोड़ा (निष्कासित पीआरडी जवान यूकेएसएससी)
  •  मनोज जोशी निवासी ग्राम पाटी चंपावत
  •  कुलवीर सिंह चौहान निवासी चांदपुर बिजनौर उप्र (कोचिंग इंस्टीट्यूट डायरेक्टर)
  •  शूरवीर सिंह चौहान निवासी कालसी देहरादून
  •  गौरव नेगी निवासी किच्छा उधमसिंहनगर (अध्यापक)

एसटीएफ के मुताबिक जयजीत दास परीक्षा में गोपनीय काम करने वाली कंपनी आरएमएस टेक्नोसोल्यूशन इंडिया का कम्प्यूटर प्रोग्रामर है, जो 2015 से ही आयोग में कार्यरत था। दूसरी तरफ अल्मोड़ा निवासी मनोज जोशी पूर्व में आयोग में पीआरडी के जरिए चतुर्थ श्रेणी में लगा हुआ था, हालांकि 2018 में उसकी संदिग्ध गतिविधियों को देखते हुए उसे आयोग से हटा दिया गया था। मनोज ने ही जयजीत के जरिए पेपर आउट कर, कोचिंग इंस्टीटयूट संचालकों तक पहुंचाया। जयजीत ने भी स्वीकार किया कि उसने पेपर प्रिंट होने के समय, लीक किया था। सूत्रों के अनुसार आयोग में आउटसोर्स पर तैनात एक चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी की पत्नी भी इस परीक्षा में पास हुई है। किसी को संदेह न हो इसके लिए वैरिफिकेशन प्रक्रिया के दौरान उक्त महिला एक और आउटसोर्स पर तैनात कर्मचारी के साथ आयोग पहुंची थी। उक्त कर्मचारी भी अब संदेह के घेरे में है।

यूकेएसएसपी का पेपर जिस कंपनी के कर्मचारी के जरिए लीक हुआ वह कंपनी इस आयोग के साथ एचएनबी गढ़वाल यूनिवर्सिटी समेत कई विभागों को तकनीकी सहायता देती है। पेपर लीक कराने वाला जयजीत भी कंपनी में लंबे समय से जुड़ा है। ऐसे में इस संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता कि इन्होंने इससे पहले पेपर लीक नहीं किए होंगे।

जिस फर्म से जुड़े कर्मचारी ने पेपर लीक किया, वह फर्म के जरिए आयोग में कामकाज देखता है। परीक्षा में चयन कराने के लिए गैंग ने 15 लाख रुपये प्रति छात्र लिए। अभी तक साठ लाख रुपये मुख्य सरगना को दिए जाने की बात सामने आई है। इसमें 37.10 लाख रुपये बरामद हो गए हैं।

सूत्रों के अनुसार 20 से ज्यादा युवाओं को गैंग ने चयन कराने की डील कर तैयारी कराई। युवकों को परीक्षा से पहले रामनगर के रिजॉर्ट में बुलाकर तैयारी कराई गई। सुबह तीन बजे गैंग संचालकों ने अपने वाहनों से इन परीक्षार्थियों को उनके केंद्रों तक छोड़ा।