ऐतिहासिक झंडे जी का अवरोहण 22 मार्च को, इस बार पूर्व की भांति लगेगा मेला !!

देहरादून का ऐतिहासिक झंडा मेला दो साल बाद इस बार पूर्ण स्वरूप में लगेगा। फाल्गुन मास की पंचमी के दिन यानी 22 मार्च से श्री झंडेजी के आरोहण के साथ मेला शुरू हो जाएगा।

इस दिन सुबह से पुराने झंडेजी को उतारने की प्रक्रिया शुरू होगी। इस बार नए ध्वजदंड पर गिलाफ चढ़ाने की प्रक्रिया और पूजा के बाद शाम तीन से चार बजे के बीच झंडेजी का आरोहण किया जाएगा।

वंही संगत के ठहरने की व्यवस्था एसजीआरआर पब्लिक स्कूल की विभिन्न शाखाओं के अलावा शहर के धर्मशालाओं और होटलों में की गई है।

इस बार आठ बड़े, जबकि चार छोटे लंगर की व्यवस्था रहेगी।

इस तरह होंगे कार्यक्रम

– 12 मार्च: श्री दरबार साहिब के प्रतिनिधि सुबोध उनियाल पंजाब की पैदल संगत के लिए दरबार साहिब के सज्जादा गद्दीनशीन श्रीमहंत देवेंद्र दास महाराज का हुक्मनामा लेकर जाएंगे।

– 14 मार्च : अराइंयावाला में श्रीझंडेजी का आरोहण किया जाएगा।

– 15 मार्च : पैदल संगत का जत्था सहसपुर पहुंचेगा, श्री दरबार साहिब मेला आयोजन समिति की ओर से संगतों का सहसपुर में स्वागत होगा।

– 16 मार्च : पैदल संगत कांवली होते हुए श्री दरबार साहिब पहुंचेगी। दरबार साहिब के सज्जादा गद्दीनशीन श्रीमहंत देवेंद्र दास महाराज की अगुआई में दर्शनी गेट पर परंपरानुसार पैदल संगत का स्वागत किया जाएगा।

– 16 मार्च : संगत के श्री दरबार साहिब पहुंचने का सिलसिला शुरू होगा। 19 मार्च को श्री झंडेजी के आरोहण के लिए तैयार किए गए ध्वजदंड को एसजीआरआर बाम्बेबाग से दरबार साहिब तक लाया जाएगा। इसी दिन गिलाफ सिलाई का कार्य भी शुरू हो जाएगा।

– 21 मार्च : शाम को परंपरा के अनुसार पूर्व से आई संगतों की विदाई होगी।

– 22 मार्च : सुबह 8 बजे से 9 बजे के बीच श्रीझंडे जी को उतराने का कार्यक्रम होगा। सेवक और संगत द्वारा श्री झंडेजी को दही, घी, गंगाजल, पंचगब्यों से स्नान करवाया जाएगा। सुबह 10 से दोपहर 2 बजे तक दरबार साहिब के सज्जादा गद्दीनशीन श्रीमहंत देवेंद्र दास महाराज संगत को दर्शन देंगे। गिलाफ चढ़ाने की पक्रिया पूरी होने के बाद शाम तीन से चार बजे के बीच श्री झंडेजी के आरोहण के साथ मेला शुरू हो जाएगा।

– 24 मार्च : नगर परिक्रमा होगी। 10 अप्रैल को रामनवमी के दिन मेला संपन्न होगा।

दुकानदार करा चुके हैं बुकिंग

मेला व्यवस्थापक केसी जुयाल ने बताया कि दो वर्ष के बाद कोरोना संक्रमण कम होने के साथ इस बार मेला पूर्व की भांति लगेगे। मेेले के लिए सभी प्रकार की दुकानें, झूले व चर्खियां संचालकों ने बुकिंग करवा दी है।

यह है एतिहासिक महत्व

सिखों के सातवें गुरु श्री गुरु हर राय के बड़े पुत्र श्री गुरु रामराय महाराज का जन्म सन 1646 ई. में जिला होशियारपुर के कीरतपुर (पंजाब) में हुआ था। श्री गुरु रामराय जी महाराज ने देहरादून को अपनी तपस्थली चुना और श्री दरबार साहिब में लोक कल्याण के लिए विशाल झंडा लगाकर श्रद्धालुओं को ध्वज से आशीर्वाद लेने का संदेश दिया था। होली के पांचवें दिन चैत्रवदी पंचमी को श्री गुरु रामराय महाराज के जन्मदिवस के रूप में मनाया जाता है।