देहरादून में आम जनता तो छोड़िए, अफसरों व मंत्रियों के घरों में भी आ रहा है अशुद्ध पानी, कैंसर व हेपेटाइटिस जैसी गंभीर बीमारियों का भी कारण बन सकता यह अशुद्ध पेयजल

देहरादून में आम जनता तो छोड़िए, नेता और अफसरों के घरों में भी पीने योग्य पानी की सप्लाई नहीं हो रही है।

इसका पर्दाफाश स्पेक्स (सोसायटी ऑफ पॉल्यूशन एंड एन्वायर्नमेंटल कंजर्वेशन साइंटिस्ट) संस्था की जल गुणवत्ता रिपोर्ट में हुआ है। संस्था से जुड़े विज्ञानियों व स्वयंसेवियों ने शहर में अलग-अलग स्थानों से पानी के 97 नमूने एकत्र किए। जिनमें 92 सैंपल जांच में फेल पाए गए हैं। कहीं पानी में क्लोरीन की मात्रा अधिक मिली तो कहीं शरीर को नुकसान पहुंचाने वाले तत्वों की मौजूदगी।

जल संस्थान देहरादून के लोगों को जो पानी पीने के लिए सप्लाई कर रहा है वह पेट संबंधी तमाम रोगों के अलावा कैंसर जैसी गंभीर बीमारियों का भी कारण बन सकता है।

स्पेक्स संस्था ने सिटी के अलग-अलग हिस्सों से पीने के पानी के कुल 97 नमूने लेकर अपनी केन्द्र सरकार से मान्यताप्राप्त लैब में उनका परीक्षण किया। इनमें से 94 नमूने मानकों पर खरे नहीं उतरे। यानी शहर में सप्लाई किया जाने वाला 95 प्रतिशत पानी पीने योग्य नहीं है। केवल पांच नमूने ही मानकों पर खरे उतर पाये हैं।

वीआईवी एरियाज में एक्स्ट्रा क्लोरीन

रिपोर्ट के अनुसार शहर के वीआईपी क्षेत्रों में जो पानी सप्लाई किया जा रहा है, उसमें क्लोरीन की मात्रा सामान्य से कई गुना ज्यादा है। मानक से ज्यादा क्लोरीन अल्सर और पेट की बीमारियों के साथ कैंसर का कारण भी बन सकता है। जिन 41 क्षेत्रों के पानी के क्लोरीन की मात्रा निर्धारित मानक से ज्यादा पाई गई।

वीआईपी लोगों के यहां से ले गए पेयजल नमूने में भी अधिक क्लोरीन पाया गया, जो स्वास्थ्य के लिए घातक है। कई विशिष्ट लोगों के यहां कई गुना अवशोषित क्लोरीन पाया गया। इसमें सचिवालय पसरिसर, जिलाधिकारी आवास समेत कैबिनेट मंत्री गणेश जोशी, सतपाल महाराज, विधायक खजान दास, विनोद चमोली, धारा चौकी, जिला जज आदि के यहां क्लोरीन की मात्रा अधिक पाई गई। इसके विपरीत 50 अलग-अलग क्षेत्रों के पानी के नमूनों में क्लोरीन मिला ही नहीं। यानी इस क्षेत्रों में बिना क्लोरीन का पानी सप्लाई किया जा रहा है।

पानी में मिला टोटल कॉलीफॉर्म बैक्टीरिया


देहरादून के पानी में खतरनाक बैक्टीरिया टोटल कॉलीफॉर्म की मात्रा भी सामान्य से कई गुना ज्यादा पाई गई है। पानी में टोटल कॉलीफॉर्म की सामान्य मात्रा 10 एमपीएन प्रति लीटर होती है, लेकिन देहरादून में कई जगहों पर टोटल कॉलीफॉर्म की मात्रा 52 एमएनपी प्रति 100 मिमी तक पाई गई है।

स्पैक्स की रिपोर्ट बताती है कि सहस्रधारा रोड के पानी के सैंपल में टोटल कॉलीफॉर्म की मात्रा 52 एमपीएन प्रति 100 मिली तक पाई गई है। इसके अलावा बंजारा बस्ती, केवल विहार, भंडारी बाग, संजय कॉलोनी और पटेलनगर जैसी बस्तियों की पानी में टोटल कॉलीफॉर्म चिंताजनक स्तर तक पाया गया है। फीकल कॉलीफॉर्म भी खतरनाक
यही स्थिति पानी में मौजूद फीकल कॉलीफॉर्म बैक्टीरिया की भी है।

यह बैक्टीरिया पेट संबंधी अनेक बीमारियों, दस्त, पीलिया, उल्टी और हेपेटाइटिस जैसी बीमारियों के लिए जिम्मेदार माना जाता है।

आरओ का बढ़ता चलन घातक

स्पेक्स के अनुसार पिछले कुछ वर्षों में रिवर्स आस्मोसिस (आरओ) का चलन तेजी से बढ़ा है। वीआइपी से लेकर सामान्य नागरिकों तक ने अपने घरों में आरओ लगा दिया है। यह आम धारणा बन गई है कि आरओ का पानी सुरक्षित होता है और इससे जल जनित बीमारियों का कोई खतरा नहीं होता। विश्व स्वास्थ्य संगठन की ओर से जारी चेतावनी का हवाला देते उन्होंने कहा कि आरओ का पानी स्वास्थ्य के लिए अच्छा नहीं है।

इससे पानी में मौजूद बैक्टीरिया तो बेशक खत्म हो जाता है, लेकिन पानी में मौजूद शरीर के लिए जरूरी लवण और कैल्शियम व मैग्नीशियम जैसे पोषक तत्व भी समाप्त हो जाते है। बाजार में मौजूद किसी वाटर फिल्टर को सरकारी विभाग अथवा जिम्मेदार एजेंसी की ओर से मान्यता भी नहीं दी गई है। ऐसे में जल जनित बीमारियों से बचने का सिर्फ एक ही तरीका है कि पानी को उबालकर पिया जाए।

टीडीएस की मात्रा भी घटते स्तर पर

देहरादून के पानी में टीडीएस की मात्रा 251 मिग्रा प्रति लीटर से 470 मिग्रा प्रति लीटर तक पाई गई है। जो सामान्य स्तर से कई गुना ज्यादा है। किडनी स्टोन, लिवर, किडनी, आंखों, हड्डियों के जोड़ों आदि पर असर डालने के लिए जिम्मेदार पानी की कठोरता भी देहरादून के पानी में सामान्य से कई गुना है।