आज कल देहरादून की सड़कों का हाल कुछ इस प्रकार है कि जिधर भी देखो उधर कोई न कोई गाड़ी हूटर बजाती दिख जाती है ।
इनमें से अधिकतर गाड़ियों में न तोह कोई अधिकारी बैठा मिलता है और न ही कोई संवैधानिक पद पर बैठा व्यक्ति !!
खुद को VIP दिखाने वाले यह लोग या तोह किसी बड़े राजनेता के रिश्तेदार होते हैं या फिर किसी अधिकारी के करीबी !!
आलम यह है कि इस बात का फायदा उठाने वालों की कतार में अब छुटभैये नेता या कहा जाए गली मोहल्लों के नेता भी शुमार हो चुके हैं
चौक – चौराहों पर ड्यूटी कर रहा निचला स्तर का पुलिसकर्मी भी अपनी नौकरी बचाने के डर से इन फर्जी हुटरबाजों को अनदेखा कर देता है
वंही दूसरी ओर प्रदेश के विभिन्न बाजारों में खुले आम धड़ल्ले से बिक रहे हैं यह हूटर व VIP लाइट्स !!
नियमानुसार वाहनों पर लाल-नीली बत्ती, हूटर, किसी दल के झंडे, साइनबोर्ड, निशान या सिंबल या चिन्ह मोटर वाहन अधिनियम एवं नियमावली में वर्जित हैं
कौन बजा सकता है सायरन और हूटर ?
– नियमों के मुताबिक, हूटर-सायरन का प्रयोग फायर ब्रिगेड, पुलिस वाहन और एंबुलेंस ही कर सकते हैं। हालांकि, इन्हें भी हर समय सायरन और हूटर बजाने का अधिकार नहीं है।
नियमानुसार पुलिस व अधिकारी की गाड़ी भी हर समय नहीं बजा सकती सायरन और हूटर –
आपने कई बार पुलिस की गाड़ियों को हूटर-सायरन का प्रयोग करते हुए देखा होगा, लेकिन पुलिस को भी हर समय इसके इस्तेमाल करने का अधिकार नहीं है। पुलिस केवल बदमाशों का पीछा करते समय या फिर आकस्मिक परिस्थितियों में या गस्त करते समय ही हूटर सायरन बजा सकती है।
लाल-नीली बत्ती व हूटर के उपयोग के सम्बन्ध में साफ तौर पर देखने को मिलता है कि अपनी हनक को दर्शाने के लिए, जनसामान्य के बीच अपने आपको विशिष्ट दिखाने के लिए हूटर व VIP लाइट्स का उपयोग किया जाता है ।
अब देखना होगा कि लोगों के लिए परेशानी का सबब बन चुकी रसूखदारों की यह गाड़ियों पर कोई कार्यवाही होती भी है या यह भी अब एक सिस्टम का हिस्सा बन चुकी हैं !!
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