वन विभाग पर काला साया, एक के बाद एक हाइकोर्ट चला रहा चाबुक, अब प्रमुख सचिव वन पर सख्त कार्रवाई के दिये निर्देश, फिलहाल असमंजस में सरकार !!

कुछ समय से उत्तराखंड वन विभाग कभी अपने ही अधिकारियों के कारनामों के कारण तो कभी खराब किस्मत या फिर कहें किसी काले साये के कारण शासन से लेकर हाई कमान तक चर्चा का विषय बना हुआ है। ऐसा कोई महीना नहीं गुजरता जब किसी न किसी प्रकरण में हाइकोर्ट अपना चाबुक इस वन विभाग में न चला रहा हो।

मामले भी इतने गंभीर कि हर महीने कभी प्रमुख वन सचिव आर के सुधांशु तो कभी HOFF अनूप मालिक को देहरादून से नैनीताल तक की दौड़ लगानी पड़ रही है।

बात करें हाल ही में आये हाइकोर्ट के आदेश की तो हाइकोर्ट की डबल बेंच ने सू-मौटो PIL की सुनवाई करते हुए वन विभाग की कार्यप्रणाली पर कठोर शब्दों में कई सवाल उठाएं हैं। जारी किए गए आदेश के अनुसार, हाईकोर्ट ने कालाढूंगी से बाजपुर मार्ग पर गिरे/ सूखे पेड़ व फोडर का क्षेत्रीय नागरिकों द्वारा बिना किसी नियमावली व बिना क्षेत्रीय लोगों की चयन सूची बनाये उठान व चुगान पर फटकार लगाई है।

कोर्ट ने यह भी कहा कि ऐसा सिर्फ एक ही जगह नही बल्कि सम्पूर्ण प्रदेश में हो रहा है। जिसके लिए विभाग कुछ नही कर रहा है।

बता दें कि इस प्रकरण को लेकर न्यायालय इतना गंभीर था कि आदेश में कई जगह ऐसे शब्दों का इस्तेमाल किया गया है, जो सरकार व विभाग की छवि पर दाग लगा गए हैं। कोर्ट ने एक जगह तो वन विभाग की तुलना “unsheltered widow” से तक कर दी और कहा कि राह चलता व्यक्ति भी जंगलात से पेड़ काट देता है व लकड़ी आगे बेच देता है और विभाग को इस बारे में कुछ अता पता तक नही होता है।

अंत मे न्यायालय ने फैसला सुनाते हुए कहा, मामला इतना गंभीर है कि वह चाहे तो इसी वक्त प्रमुख सचिव वन, DFO तराई सेंट्रल व DFO रामनगर पर आदेश पारित कर सख्त कार्रवाई कर सकता है लेकिन ऐसा न करते हुए कोर्ट राज्य सरकार को इन तीनों अधिकारियों पर सख्त से सख्त अनुशासकीय कार्यवाही करने के आदेश पारित करता है। कोर्ट ने वन विभाग को 2 माह के भीतर उक्त प्रकरण पर नियमावली / कानून बनाने हेतु निर्देश भी दिए हैं और तब तक के लिए गिरे / सूखे पेड़ व फोडर, माइनर प्रोडक्ट का उठान व चुगान पर पूर्णतः रोक लगा दी है।

वंही इस प्रकरण पर वन मंत्री सुबोध उनियाल ने कहा है कि वह हाई कोर्ट के इस आदेश की मुख्यमंत्री संग चर्चा करेंगे, अगर सरकार को लगेगा की उक्त मामले को सुप्रीम कोर्ट पर चैलेंज करने की जरूरत है तो सरकार सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाएगी।