केदारनाथ यात्रा में अहम भूमिका निभाने वाले घोड़े-खच्चरों की ही कोई कद्र नहीं की जा रही है। इनके लिए न रहने की कोई समुचित व्यवस्था है और न ही इनके मरने के बाद विधिवत दाह संस्कार किया जा रहा है। केदारनाथ पैदल मार्ग पर घोड़े-खच्चरों के मरने के बाद मालिक और हॉकर उन्हें वहीं पर फेंक रहे हैं, जो सीधे मंदाकिनी नदी में गिरकर नदी को प्रदूषित कर रहे हैं। ऐसे में केदारनाथ क्षेत्र में महामारी फैलने से भी इनकार नहीं किया जा सकता है।
दूसरी तरफ, संचालक और हॉकर रुपये कमाने के लिए घोड़ा-खच्चरों से एक दिन में गौरीकुंड से केदारनाथ के 2 से 3 चक्कर लगवा रहे हैं और रास्ते में उन्हें पलभर भी आराम नहीं मिल पा रहा है, जिस कारण वह थकान से चूर-चूर होकर दर्दनाक मौत का शिकार हो रहे हैं।
आंकड़े बताने के लिए काफी हैं कि केदारनाथ की रीढ़ कहे जाने वाले इस जानवर की कितनी सुध ली जा रही है। सिर्फ 16 दिनों में 60 घोड़ा-खच्चरों की मौत हो चुकी है, बावजूद इसके घोड़े-खच्चरों की सुध नहीं ली जा रही है।
आपको बता दें कि घोड़े-खच्चरों की मौत पर सांसद एवं पशु अधिकारवादी मेनका गांधी ने पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज से दूरभाष पर वार्ता कर चिंता व्यक्त की थी। और अब उनकी संस्था पीपल फॉर एनिमल्स ने प्रदेश के मुख्य सचिव एसएस संधू व डीजीपी अशोक कुमार सहित अन्य चार अधिकारियों को लीगल नोटिस भेजा है !!
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