जहां एक तरफ प्रदेश के अधिकतर विभाग कम बजट के कारण अपनी योजनाओं को धरातल पर नही ला पा रहे हैं व पेंडिंग पेमेंट का अनुदान नही कर पा रहें हैं, वहीं उत्तराखंड का ही वन विभाग 200 करोड़ का बजट मांग कर उससे लैप्स करवा देता है।
योजनाओं के लिए बजट लेकर उसे पूरा खर्च न करना वन विभाग की आदत में शुमार हो गया है। उधर इसके लिए जिम्मेदार अधिकारियों पर कभी कोई कार्रवाई नहीं होने से बजट लैप्स की यह संस्कृति विभाग में बढ़ी है, लेकिन, अब शासन ने ऐसे अफसर को चिन्हित करने और उन पर नकेल कसने का पूरा इरादा बना लिया है।
जानकारी के अनुसार विभाग ने करीब 200 करोड़ रुपए का बजट खर्च नहीं किया है। यह स्थिति तब है जब प्रदेश में तमाम विभाग बजट की कमी के कारण कई महत्वपूर्ण योजनाओं को आगे नहीं बढ़ा पाते हैं। उधर इससे उलट उत्तराखंड वन विभाग अपने बजट को ही पूरी तरह खर्च नहीं कर पा रहा है।
हैरानी की बात यह है कि इस तरह की स्थिति के बाद भी कभी किसी अधिकारी पर कोई बड़ी कार्रवाई भी नहीं हुई है। हालांकि, इस बार शासन ने वन विभाग के अधिकारियों के इस रवैये को गंभीर माना है। वन मुख्यालय से बजट खर्च में लापरवाही बरतने वाले अधिकारियों को चिन्हित कर उनका नाम शासन को भेजे जाने के भी निर्देश दे दिए गए हैं।
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