Exclusive- PMGSY में करोड़ों की अनिमितता, बिना FC व EE के सहमति के अलॉट कर दिए गए कुल 270 करोड़ के टेंडर !!

PMGSY विभाग एक बार फिर विवादों के घटघरे में खड़ा हो गया है। इस बार PMGSY – प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना में कोई छोटी मोटी नहीं बल्कि करीब 270 करोड़ की अनियमितता सामने आई है।

RTI से मिली जानकारी के अनुसार PMGSY के फेज 3 में करीब 1000 करोड़ रुपये के टेंडर आवंटित किए गए, जिसमे से 270 करोड़ ₹ के टेंडर बिना FC (फाइनेंस कंट्रोलर) व EE (अधिशाषी अभियंता) के अनुमोदन / सहमति के ही अलॉट कर दिए गए। जबकि प्रोक्योरमेंट नियमावली में  टेंडर कमिटी के सर्व सहमति व खासकर FC के सहमति से अलॉट किये जाने का प्रावधान है।

FC ने कहा टेक्निकल बिड में हुई गड़बड़ी

Doon Mirror से खास बात चीत में PMGSY / URRDA के वित्त नियंत्रक भूपेंद्र कांडपाल ने बताया कि PMGSY के फेज 3 में 25 से 30 टेंडर ऐसे अलॉट किये गए हैं जिसमे उन्होंने व अधिशाषी अभियंता URRDA संजय सिंह ने सहमति नही दी थी। उक्त 25 से 30 टेंडरों के टेक्निकल BID में कई खामियां थी, फाइनेंसियल BID तक में भी वह कंपनी जबरदस्ती पंहुचा दी गयी जिसके मानक भी पूरे नहीं थे। जिसकारण उन्होंने टेंडर के दस्तावेजों में सहमति नही दी है।

चीफ आर.पी सिंह की NOC व प्रतिनियुक्ति 2021 में हो गयी थी समाप्त – PMGSY में एक तरफा हुकूमत करने वाले चीफ आर.पी सिंह बिना किसी NOC व डेपुटेशन के ही आज तक PMGSY में बरकरार है। RTI से मिली जानकारी के अनुसार चीफ आर.पी सिंह कुल 3 वर्षों (1+2) की NOC पर PMGSY विभाग में CE गढ़वाल के पद पर प्रतिनियुक्ति पर आए थे। जिसके बाद उन्हें CE URRDA का भी अतिरिक्त डबल चार्ज दे दिया गया। प्रतिनियुक्ति अवधि खत्म होने व मूल विभाग सिचाई द्वारा कई बार वापस बुलाने के बावजूद भी चीफ आर.पी सिंह अपनी दोनों कुर्सियां से टस से मस न हुए। आज समय ऐसा है कि शासन से लेकर शासक तक चीफ इंजीनियर आर.पी सिंह के उंगलियों पर नाचते हैं।

आपदा मद से हुए कार्यों की जांच भी लंबित

बता दें की वर्ष 2023 में पूर्व CEO PMGSY डॉ आर. राजेश कुमार ने आपदा मद से हुए कार्यों की जांच करवाने का निर्णय लिया था। जिसके लिए PMGSY / URRDA के वित्त नियंत्रक भूपेंद्र कांडपाल को जांच अधिकारी नियुक्त किया गया। हैरत की बात यह है कि एक साल से अधिक समय बीत जाने के बाद भी यह जांच पूरी न हो सकी। विभागीय जानकर बताते हैं कि वित्त नियंत्रक भूपेंद्र कांडपाल के कई पत्र लिखने के बाद भी नोडल व सेक्शन से जुड़े कर्मचारियों ने उन्हें आतिथि तक जांच से जुड़े कोई भी दस्तावेज मुहैया नही कराए हैं। जिस वजह से यह जांच शुरू भी नही हो पाई।

नियमावली की भी उड़ी धज्जियां –

प्रोक्योरमेंट नियमावली व वित्त नियंत्रक दायित्व नियमावली 2008 के बिंदु 6 की भी खुल्ले आम उड़ाई गयी धज्जियां। उक्त नियम के अनुसार –

कमिटी के 7 सदस्यों में 2 ने नही किये हस्ताक्षर, वंही चीफ आर.पी सिंह करता रहा 2 जगह हस्ताक्षर –

एक तरफ जहां FC व EE ने गलत दस्तावेजों वाले टेंडरों पर हस्ताक्षर करने से इनकार कर दिया था वंही दोहरा चार्ज होने के कारण आर.पी सिंह कमिटी में दोहरी जिम्मेदारी निभाते नजर आए। टेंडर डॉक्यूमेंट में उनके हस्ताक्षर दो अलग अलग पदों के सापेक्ष किये गए थे। विभागीय जानकर यह तक बताते हैं कि कुछ टेंडर ऐसे भी हैं जिसमे SE सुपरिंटेंडेंट इंजीनियर राजेश कुमार ने तक अपनी कलम फ़साने से इनकार कर दिया। जिस क्रम में सुपरिंटेंडेंट इंजीनियर राजेश कुमार ने भी कुछ टेंडरों में हस्ताक्षर नही किया है।

2 वर्ष से नही हो पाई चीफ URRDA के पद पर प्रतिनियुक्ति –

बता दें कि 3 वर्ष पूर्व से चीफ URRDA का पद रिक्त चल रहा है जिस कारण से CE गढ़वाल PMGSY आर. पी सिंह को शासन द्वारा ही चीफ URRDA का अतिरिक्त / डबल चार्ज दे दिया गया। 2 वर्ष पूर्व चीफ URRDA के पद पर प्रतिनियुक्ति हेतु नवीन प्रक्रिया शुरू की गई लेकिन हैरत की बात यह है कि आतिथि तक नवीन प्रतिनियुक्ति प्रक्रिया पूरी नही हो पाई है। विभागीय जानकर बतातें है कि करीब 9 लोगों ने चीफ URRDA पद हेतु आवेदन किया था लेकिन आज तक इंटरव्यू तक आहूत नही किए गए। जिस कारण 3 वर्ष से CE गढ़वाल PMGSY आर. पी सिंह के पास ही चीफ URRDA का अतिरिक्त डबल चार्ज है।