उत्तराखंड में आरएसएस के कुछ पदाधिकारियों की छुट्टी होना तय, विधानसभा में अपनों की भर्ती से नाराज हुआ टॉप RSS !!

छत्तीसगढ़ के रायपुर में राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ की अखिल भारतीय समन्वय बैठक संपन्न होने के तत्काल बाद बुधवार को मेरठ में संगठन की बेहद अहम बैठक होने जा रही है। इस बैठक के लिए उत्तराखंड से संघ के प्रांत स्तर के पदाधिकारियों को मेरठ तलब कर लिया गया है। इस बैठक के बाद संघ में प्रांत स्तर पर बड़े बदलाव की तैयारी है।

उत्तराखंड विधानसभा में बैकडोर से हुई भर्तियों के मामले में पिछले दिनों राज्य में संघ के बड़े पदाधिकारियों के नाम सामने आने के बाद नागपुर तक हलचल मच गई थी। उत्तराखंड में संघ से जुड़े चार बड़े पदाधिकारियों पर आरोप लगे कि उन्होंने विधानसभा की भर्तियों में अपने रिश्तेदारों की नौकरी लगवाई।

इस बीच रायपुर में संघ की अखिल भारतीय बैठक में भी उत्तराखंड का मसला उठा। यह बैठक सोमवार को ही रायपुर में संपन्न हुई। इसके बाद संदेश भेजा गया की उत्तराखंड के मसले पर मेरठ में बैठक बुलाई जाए। इसकी रिपोर्ट तत्काल ही दिल्ली संघ मुख्यालय भेजी जानी है। इस बैठक के लिए उत्तराखंड से प्रांत प्रचारक युद्धवीर, सह प्रांत प्रचारक देवेंद्र चौहान समेत अन्य संघ पदाधिकारी बुधवार को मेरठ पंहुच सकते हैं।

मेरठ में बुधवार को क्षेत्र प्रचारक महेंद्र बैठक लेंगे। इसके बाद देर शाम दिल्ली में झंडेवालान स्थित संघ मुख्यालय में संघ के दिग्गज नेता दत्तात्रेय होसबोले बैठक लेंगे। इस बैठक में आरएसएस में प्रांत स्तर पर बदलाव को लेकर कोई बड़ा फैसला हो सकता है। इधर, कार्रवाई की आशंका से उत्तराखंड आरएसएस से जुड़े पदाधिकारी सहमे हुए हैं। हालांकि संघ से जुड़े लोग इसे सामान्य बैठक बता रहे हैं, लेकिन एक दैनिक अखबार की रिपोर्ट के अनुसार खबर पुष्ट है कि उत्तराखंड में आरएसएस एक बड़ा बदलाव करने जा रही है।

वंही विधानसभा बैकडोर भर्ती में आरएसएस के बड़े पदाधिकारियों का नाम आने से पूरा कैडर असहज महसूस कर रहा है। इस मामले में संघ का कोई भी पदाधिकारी कुछ भी बोलने से बच रहा है।

पहली बार संघ पर लगे आरोप

उत्तराखंड गठन के बाद ये पहला मौका है, जब किसी संघ पदाधिकारी का नाम भर्ती विवाद में सामने आया हो। इसने संघ के भीतर एक नई बहस को जन्म दे दिया है। इस भर्ती विवाद को लेकर संघ के निचले स्तर के स्वयंसेवकों से लेकर बड़े पदाधिकारी तक सकते में हैं। ऐसा संघ की गरिमा और परंपरा के खिलाफ माना जा रहा है

आपको बता दें कि परिवार से दूरी, समाज सेवा, सादा जीवन, सख्त अनुशासन हमेशा से संघ के प्रचारकों की पहचान रही है।