पिकचर अभी बाकी है, विजिलेंस के रैडार पर पुलिस विभाग के 100 और दरोगा, महकमें में मचा हड़कंप !!

पिछले वर्ष अक्टूबर में फर्जी भर्ती मामले में मुकदमा दर्ज करने के बाद विजिलेंस ने सभी अभ्यर्थियों की कुंडली खंगालनी शुरू की। इसमें जिन पर विजिलेंस को शक था, उनकी जांच के लिए अलग-अलग टीमें गठित की गईं।

स्कूली शिक्षा से लेकर उच्च शिक्षा, स्वजन, करीबी मित्र समेत आर्थिक स्थिति की बारीकी से पड़ताल की गई। सूत्रों की मानें तो भले प्रारंभिक चरण में 20 दारोगा पर गाज गिरी हो, लेकिन अभी कुछ और दारोगा भी रडार पर हैं। इनके निलंबन की कार्रवाई भी जल्द हो सकती है।

विजिलेंस को संदेह था कि यदि अभ्यर्थी ने मोटी रकम देकर परीक्षा पास की है तो रुपयों का इंतजाम कहीं न कहीं से किया गया होगा। विजिलेंस ने जमीनों तक की जानकारी जुटाई कि कहीं भर्ती के दौरान किसी ने जमीन या मकान आदि बेचकर तो रकम नहीं जुटाई।

इसके साथ ही विजिलेंस ने अपनी जांच उत्तरकाशी जिले पर अधिक केंद्रित रखी, क्योंकि नकल माफिया हाकम सिंह रावत के गिरफ्तार होने के बाद यह सामने आया था कि दारोगा भर्ती में उत्तरकाशी के काफी युवक सफल हुए थे। इनमें से कुछ का हाकम सिंह के साथ काफी मिलना-जुलना था।

भर्ती पर सवाल उठने के बाद पुलिस विभाग की ओर से जब कुछ चयनित दारोगा की गोपनीय जांच कराई गई तो पता चला कि 15 प्रतिशत दारोगा ऐसे हैं, जो केस डायरी तक लिखना नहीं जानते।

अधिकतर दारोगा अपने साथियों और जूनियरों को प्रलोभन देकर केस डायरी लिखवाते मिले। यही नहीं, कई दारोगा ने तो अपने साथ सेवानिवृत्त दारोगा को रखा हुआ था, ताकि बड़ा केस आने पर वह उसकी मदद कर सके।

विजिलेंस सूत्रों के अनुसार वर्ष 2015 में उत्तराखंड में 339 दारोगा भर्ती हुए। कुमाऊं में 120 दारोगा

तैनात हैं। जिसमें 46 ऊधमसिंह नगर व 38 नैनीताल जिले में तैनात हैं। इसी तरह पिथौरागढ़ में 15 और अल्मोड़ा, चंपावत व बागेश्वर में सात-सात दारोगा सेवारत हैं। सभी दारोगाओं का मुख्यालय से रिकार्ड लेकर जांच शुरू कर दी गई है।

टापर दारोगा की जांच होगी पहले

दारोगा भर्ती में कई ऐसे लोग टापर हो गए, जिन्हें पुलिस की कार्यप्रणाली के बारे में पता नहीं है। कई दारोगाओं को शुद्ध हिंदी लिखने में भी दिक्कत होती है। विजिलेंस सूत्रों के अनुसार सबसे पहले टापरों की जांच की जा रही है।

आय से अधिक संपत्ति के मामले में कुछ और दरोगाओं की हो सकती है विजिलेंस जांच –

ऊधमसिंह नगर जिले में तैनात सब इंसपेक्टर की जांच की मंजूरी से पुलिस महकमे खलबली मची हुई है।पुलिस और गृह विभाग को आय से अधिक संपत्ति जुटाने की ऐसी ही शिकायतें यूएसनगर समेत कुछ और जिलों में तैनात दरोगाओं के खिलाफ प्राप्त हुई हैं। अभी इन शिकायतों की गोपनीय ढंग से प्राथमिक जांच चल रही है। जांच में तथ्य मिले तो उनके मामलों को भी राज्यस्तरीय सतर्कता समिति के समक्ष लाया जा सकता है। ऐसी स्थिति में सतर्कता जांच की अनुमति भी दी जा सकती है

विभागीय अधिकारियों पर भी आ सकती है आंच


दारोगा भर्ती में कुछ विभागीय अधिकारियों पर भी आंच आ सकती है। आरोप लग रहे कि अधिकारियों की मिलीभगत के बिना भर्ती में गड़बड़ी करना संभव नहीं है। ऐसे में कुछ सेवानिवृत्त और कुछ वर्तमान अधिकारी भी इसकी जद में आ सकते हैं।

कोर्ट का दरवाजा खटखटाने की तैयारी

निलंबन की कार्रवाई के बाद अब संदिग्ध दारोगा भी कोर्ट जाने की तैयारी कर रहे हैं। बताया जा रहा है कि लंबे समय से चल रही जांच के दौरान कुछ दारोगा संगठित हो गए थे और खुद को फंसता देख कोर्ट जाने की तैयारी भी शुरू कर दी थी।