उत्तराखंड में सिपाहियों / कॉन्स्टेबलों की कमी का सीधा असर अब थाने-चौकी के साथ ही गश्त पर भी पड़ रहा है। हालात इस कदर हो गए हैं कि चीता ड्यूटी सहित अन्य शासकीय कार्यों के लिए सिपाही कम पड़ गए हैं। लिहाजा, मुख्यालय ने हेड कांस्टेबल को चीता ड्यूटी में लगाने की व्यवस्था शुरू कर दी है।
प्रदेशभर में पिछले काफी समय से सिपाहियों की कमी चल रही है। पहले से तय 17,540 सिपाहियों के कॉडर में से 3500 पद सरेंडर कर हेड कांस्टेबल और ASI के नए पद सृजित किए गए। ऐसे में सिपाहियों की कमी का असर थाने और चौकियों में पड़ रहा है। सबसे ज्यादा असर चीता मोबाइल ड्यूटी पर पड़ रहा है।
गश्त के लिए कम पड़ रहे सिपाही प्रदेशभर में 250 चीता मोबाइल हैं, जहां पांच सौ सिपाहियों की ड्यूटी लगती है। लेकिन, गश्त के लिए पुलिसकर्मी कम पड़ रहे हैं। लिहाजा, पुलिस मुख्यालय ने प्रदेश में हेड कांस्टेबल को चीता ड्यूटी में लगाने की नई व्यवस्था शुरू कर दी है, ताकि कानून व्यवस्था बनाए रखने में कोई दिक्कत न हो।
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार नए पद को लेकर दरोगाओं में नाराजगी और आम लोगों में असमंजस पुलिस विभाग ने हाल में एएसआई यानी सहायक सब इंस्पेक्टर के 1750 नए पद सृजित किए थे, जिस पर हेड कांस्टेबल को प्रोन्नत किया गया। विभिन्न थाना-चौकियों में इनकी तैनाती हुई है। जबकि वर्दी और अधिकार दरोगा के बराबर रखे गए हैं। इनको भी दो सितारे लगाने का अधिकार दिया गया है, जिससे दरोगा या एएसआई में अंतर नहीं रह गया है। इसे लेकर दरोगाओं में अंदरखाने नाराजगी और लोगों में असमंजस है।
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