आने वाले दिनों में वन विभाग के गेस्ट हाउस में ठहरना और जंगल सफारी का आनंद लेने के लिए अधिक दाम चुकाने पड़ सकते हैं। वन विभाग की ओर से ईको टूरिज्म और पर्यावरण पर्यटन से जुड़ी तमाम गतिविधियों का शुल्क बढ़ाए जाने का प्रस्ताव शासन को भेजा गया है।
इसके तहत पांच से 10 प्रतिशत तक शुल्क में बढ़ोतरी की जा सकती है। दूसरी तरफ फिल्म, डॉक्युमेंट्री निर्माण, पर्वतारोहण जैसी गतिविधियों का शुक्ल घटाया भी जा सकता है। प्रदेश में छह राष्ट्रीय उद्यान, सात वन्य जीव विहार और चार संरक्षित वन क्षेत्र हैं। इसके अलावा वन क्षेत्रों में 14 ईको टूरिज्म क्षेत्र हैं। जहां वर्षभर पर्यटकों की आमद रहती है।
इनमें वन्य जीव सफारी, कैंपिंग, हाईकिंग, बर्ड वॉचिंग, एंग्लिंग, नेचर वॉक, बटरफ्लाई वॉचिंग और ग्रामीण पर्यटन गतिविधियां संचालित की जाती हैं। अच्छी बात यह है कि बीते कुछ वर्षों में इन गतिविधियों के तहत पर्यटकों की संख्या में भारी इजाफा हुआ है। वित्तीय वर्ष 2021-22 में प्रदेश सरकार को ईको टूरिज्म और पर्यावरण आधारित पर्यटन से कुल 17.38 करोड़ रुपये का राजस्व प्राप्त हुआ है। इसमें सबसे अधिक कमाई कॉर्बेट टाइगर रिजर्व ने करके दी है।
मुख्य वन संरक्षक ईको टूरिज्म डॉ. पराग मधुर धकाते ने बताया कि जिन गतिविधियों में शुक्ल बढ़ाया जा सकता है, उनमें गेस्ट हाउस में रात्रि विश्राम, वाइल्ड लाइफ सफारी, एंग्लिंग, वाहनों की एंट्री, फोटोग्राफी, प्रतिव्यक्ति एंट्री शुक्ल आदि शामिल हैं। इसके अलावा कुछ ट्रैकिंग रूट, बर्ड वाचिंग, नेचर ट्रैल आदि पर पहली बार शुक्ल लगाया जा सकता है।
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