पिछले 24 घंटों में 7 तीर्थयात्रियों की हृदय गति रुकने से मौत, अब तक 56 लोगों की जा चुकी है जान, जिम्मेदार कौन ??

पहाड़ों पर जाते समय खासतौर से धार्मिक यात्राओं के समय लोग आस्था और जल्दबाजी के चक्कर में सेहत का ख्याल नहीं रखते। जबकि, उन्हें अपनी शारीरिक क्षमता के अनुसार ही पहाड़ों पर यात्रा करनी चाहिए। चारधाम यात्रा के दौरान हर साल लोगों की मौत होती है। इस साल अब तक 56 लोगों की मौत हो चुकी है।

बीते 24 घंटों में चारधाम यात्रा पर आए सात तीर्थयात्रियों की हृदय गति रुकने से मौत हो गई। चारधाम यात्रा में अब तक 56 लोगों की जान जा चुकी है जिसमें से 54 की मौत की वजह दिल का दौरा पड़ना पाया गया है। 

आखिरकार इन मौतों के पीछे की वजह क्या है? क्या पहाड़ों की क्षमता लोगों के अनुपात में कम है? क्या वहां जाने वाले सभी लोगों के फेफड़ों में उनके हिस्से की हवा नहीं मिल रही है? या फिर लोग अपनी सेहत की जांच कराए बगैर, बिना पहाड़ी जलवायु से अभ्यस्त हुए यात्रा पर निकल गए?

साइंटिस्ट और एक्सपर्ट्स कहते हैं कि पहाड़ों पर जाने से पहले शरीर को एक्लीमेटाइज करना होता है। यानी पहाड़ी जलवायु के हिसाब से शरीर को ढालना। यह आसान काम नहीं है, क्योंकि लोगों के पास समय कम है। जल्दी जाकर, जल्दी लौटना भी होता है। इसलिए कोई इस बात पर ध्यान नहीं देता।

दूसरी है आपकी सेहत, सांस संबंधी दिक्कत हो, ब्लड प्रेशर हो या दिल संबंधी दिक्कत हो या फिर शरीर में हीमोग्लोबिन की कमी हो, तब आपको यात्रा से बचना चाहिए… या फिर यहां बताए एक्सपर्ट्स की सलाह माननी चाहिए. क्योंकि आपके शरीर का ऊंचाई और उसके जलवायु से सीधा संबंध हैं।

IIT रुड़की के साइंटिस्ट व एक्सपर्ट बताते हैं कि अमेरिका और यूरोपीय देशों में पहाड़ों पर जाने वालों के लिए मेडिकल रिकमंडेशन दिए हैं कि 24 घंटे में औसतन 500 मीटर और अधिकतम 1000 मीटर की ऊंचाई पूरी करनी चाहिए। लोग चारधाम जैसी यात्राओं में जल्दबाजी करते हैं। कोशिश करते हैं कि जल्दी दर्शन हो जाए। इस दौरान वो कभी भी अपनी सेहत का ध्यान नहीं रखते। शरीर को पहाड़ों के अनुसार एक्लीमेटाइज करना जरूरी होता है। अगर आप 500 से 1000 मीटर जाते हैं। तो वहां एक दिन या रात रुक कर थोड़ी ट्रेकिंग करनी चाहिए। ताकि शरीर पहाड़ी जलवायु के साथ एडजस्ट कर सके।

300 मीटर ऊंची दिल्ली से सीधे 3500 मीटर ऊपर जाएंगे तो शॉक लगेगा ही

वैज्ञानिक कहते हैं कि पहाड़ी यात्राओं से पहले शरीर को वहां की जलवायु के हिसाब से एडजस्ट करना बेहद जरूरी है। अगर आपको 4000 मीटर की ऊंचाई पर जाना है तो कम से कम 2000 मीटर की ऊंचाई पर जाकर 2-3 दिन रुके। वहां ट्रेकिंग करे। वहां के जलवायु के साथ शरीर को अभ्यस्त करें। अगर अचानक से आप दिल्ली के 300 मीटर की ऊंचाई से सीधे 3500 मीटर की ऊंचाई पर जाएंगे तो आपके शरीर को शॉक लगेगा।