उत्तराखंड सचिवालय से बड़ा हैरतअंगेज मामला सामने आया है। जहां सचिव सिंचाई के हस्ताक्षर फ़ोटो एडिट व कॉपी पेस्ट करके तीन फर्जी आदेश में चिपका दिया गया। उक्त तीनों आदेश अपर सहायक अभियंता के तबादलों से जुड़े हैं।
जानकारी के अनुसार यह तीनों आदेश न ही शासन से निर्गत हुए हैं न ही शासन से डिस्पैच किये गए लेकिन सिचाईं मुख्यालय स्तर से इन तीनों आदेशों को अमल में लाया गया व तबादलों की प्रक्रिया पूरी कर दी गयी।
उक्त प्रकरण जब सचिव सिचाईं डॉ आर. राजेश कुमार के संज्ञान में आया तो उन्होंने कार्यवाई करते हुए सभी फर्जी आदेशों को खारिज कर, उन तीनों अभियंताओं को उनकी मूल तैनाती में ही कार्य करने के निर्देश जारी किए।
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शासकीय सूत्र यह भी बताते हैं कि प्रकरण इतना गंभीर है, शासन स्तर पर भी इस प्रकरण की जांच की जा रही है। साथ ही साथ शहर कोतवाली में भी HOD सिचाईं की ओर से मुकदमा दर्ज करने हेतु तहरीर दी गयी है। जिसपर आज यानी रविवार शाम तक मुकदमा दर्ज हो जाएगा।
सूत्र यह भी बताते हैं कि इस कृत्य में सिचाई मुख्यालय स्तर के बाबुओं की भूमिका संदिग्ध नजर आ रही है, क्योंकि एक अनजान डाक जोकि शासन से डिस्पैच ही नहीं हुई उस पत्र व डाक को अमल में लाकर व तबादले की कार्यवाई कैसे व किस माध्यम से हो गयी।
पूर्व में भी सामने आया था ऐसा ही एक प्रकरण –
इस तरह का कृत्य पूर्व में भी सिचाईं विभाग में सामने आए थे। उस समय भी सचिव के हस्ताक्षर कॉपी पेस्ट करके कुछ तबादला आदेश जारी कर दिए गए थे, लेकिन उस वक्त भी तत्कालीन अधिकारियों ने प्रकरण पर ज्यादा गौर न करते हुए कोई बड़ी कार्यवाई अमल में नहीं लायी थी।
पहले भी हो चुके हैं सचिवों के खिलाफ षड्यंत्र –
यह कोई पहला प्रकरण नहीं है जब आईएएस अधिकारी / सचिवों के खिलाफ षड्यंत्र हुआ हो। कुछ दिन पूर्व भी एक सचिव की छवि को खराब करने व उनसे बड़े विभाग हटाने के उद्देश्य से एक फर्जी शिकायती पत्र भी मुख्यमंत्री सहित अन्य माननीयों को लिखा गया था, लेकिन जब उस प्रकरण में मुकदमा दर्ज कर जांच की गई तो वह पत्र फर्जी पाया गया। उस प्रकरण में भी पुलिस को शासन के ही 2 कर्मचारी पर शक है। संदिग्धों की कॉल डिटेल्स भी इस चीज़ की पुष्टि कर रही है। उक्त प्रकरण में भी पुलिस को शासन का वह कंप्यूटर व प्रिंटर भी मिल गया है जिससे वह फर्जी दस्तावेज प्रिंट किया गया था।
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