हिमालय की अस्मिता और उत्तराखंड के पर्यावरण के लिए चिंतित सामाजिक, राजनीतिक और पर्यावरण प्रेमी संगठनों और जागरूक नागरिकों ने आज देहरादून में एक पदयात्रा निकालकर सरकारी तंत्र को एक महत्वपूर्ण संदेश दिया है।
बता दें कि पदयात्रा के माध्यम से संगठनों द्वारा उत्तराखंड के पहाड़ी क्षेत्रों में पिछले 24 वर्षों से हो रहे विनाश के बारे में चिंता व्यक्त करी। चाहे वह चार धाम की सड़क परियोजना हो, एनटीपीसी द्वारा चलाई जा रही जोशीमठ की परियोजना हो, या जलवायु परिवर्तन के अनेक उदाहरण हों।
पदयात्रा के प्रतिभागियों ने मांग की है कि अगर NTPC की जल विद्युत परियोजना को पुनः आरम्भ किया जाता है, तो गलती होने पर किस संस्था या किस अधिकारी की क्रिमिनल और सिविल जवाबदेही तय की जाएगी। यह जवाबदेही ना केवल एनटीपीसी के स्तर पर बल्कि शासन-प्रशासन के स्तर पर भी तय होनी चाहिए।
पदयात्रा के प्रतिभागियों ने यह भी मांग की है कि इंडिपेंडेंट एक्सपर्ट्स पहले इस बात का निर्णय लें कि जोशीमठ जैसे पर्यावरण की दृष्टि से संवेदनशील स्थान पर फिर से ब्लास्टिंग और जल विद्युत परियोजना जैसा बड़ा कार्य आरम्भ किया जा सकता है या नहीं।
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