बिना प्रकिया पूरी करे बगैर बुला दी गयी DPC, जब पता चला तो बैठक से अधूरे दस्तावेज लेकर बेरंग वापस लौटे वन विभाग के अधिकारी !!

ख्वाब बड़े बड़े लेकिन एक DPC भी नहीं करवा पा रहे, बड़े सपने देखने वाले छोटे अधिकारी। किस्सा कुछ इस प्रकार का है कि शासन में आज मुख्य सचिव की अध्यक्षता में वन महकमें के 2 पदों (PCCF व APCCF) के लिए डीपीसी होनी थी।

डीपीसी बैठक जैसे ही शुरू हुई तो प्रमुख सचिव वन सहित सेक्शन के अधिकारियों को अन्य अधिकारियों द्वारा बताया जाता है कि शासन स्तर पर वन विभाग ने तो अभी तक इन DPC के लिए केंद्रीय वन मंत्रालय सहमति (concurrence) से अभी तक ली ही नही है, उसके बगैर यह DPC बैठक कैसे बुला दी गयी है।

उक्त प्रकरण जैसे ही सामने आया तो भरी बैठक में वन विभाग से जुड़े अधिकारियों की किरकिरी होने लगी जिसे देख वन विभाग के अधिकारी बैठक खत्म होते ही अधूरे दस्तावेज लेकर वहां से बैरंग वापस लौट गए, फिर उसके पश्चात तुरन्त ही सहमति (concurrence) की प्रक्रिया शुरू की गई। ऐसे अनेक किस्से आपको उत्तराखंड सचिवालय में सुनने व देखने को मिल जाएंगे कि जिन अधिकारियों के कंधों पर विभागों की कमान दी गयी है वह ही नियमों व शासकीय प्रक्रिया से अनभिज्ञ रहते हैं।

इन दो अधिकारियों की होनी थी DPC

आज बैठक में 2 आईएफएस अधिकारियों के पदोन्नति पर मुहर लगनी थी। सेवानिवृत्त हुए PCCF विजय कुमार की रिक्ति के सापेक्ष कपिल लाल को PCCF व परिणामी रिक्ति के सापेक्ष APCCF रैंक पर अहर्ता पूरी कर रही IFS मीनाक्षी जोशी को पदोन्नति मिलनी थी। लेकिन शासन स्तर पर वन विभाग की एक गलती के कारण अब यह प्रक्रिया आगामी 10 से 15 दिनों के लिए टल गया है जब तक की केंद्रीय वन मंत्रालय से रिक्त पदों अथवा प्रोमोशन की सहमति (concurrence) नही आ जाती है। बता दें कि अब जाकर वन विभाग ने सहमति (concurrence) की प्रक्रिया हाल ही में शुरू की है जबकि ऐसा पिछले माह ही कर दिया जाना चाहिए था।