प्रदर्शन व लाठीचार्ज के ठीक 1 महीने बाद मानो लाठीचार्ज व आंदोलन प्रकरण का जिन एक बार फिर बाहर आ गया है।
सोशल मीडिया से लेकर आम आदमी के जुबां पर आज कल एक प्रश्न काफी आम है कि उग्र आंदोलन दिवस की पूर्व रात्रि किसके फोन व किसके आदेशों पर डीआईजी-एसएसपी देहरादून ने शांतिपूर्ण तरीके से धरना दे रहे युवकों को बल पूर्वक उठाया, और जल्दबाजी इतनी कि जनपद में तैनात किसी भी मजिस्ट्रेट को सूचित भी नही किया जाता, लेकिन नियमानुसार ऐसे मौकों पर मजिस्ट्रेट का मौके पर रहना अनिवार्य होता है।
यह अहम सवाल आम जनमानस से लेकर राजनैतिक गलियारों में चर्चा विषय बनता जा रहा है कि किसके आदेशों पर उस रात बल पूर्वक कार्यवाई की गई। क्या उस अधिकारी या शख्स का नाम जांच रिपोर्ट में डॉक्यूमेंट होगा, जिसके कारण अगले दिन देहरादून की सड़कों पर आक्रोशित युवाओं का हुजूम उमड़ पड़ा।
इस प्रकरण पर वरिष्ठ पत्रकार अजित राठी ट्विटर पर लिखते हैं कि –
वंही बेरोजगार संघ द्वारा भी सोशल प्लेटफार्म पर यह सवाल उठाया गया है।
अब आने वाले दिनों में देखना होगा कि क्या जांच रिपोर्ट में उस शख्स का नाम उजागर होगा या फिर मामला रफा-दफा कर दिया जाएगा।
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