उत्तराखंड के विजिलेंस विभाग ने शासन से फोन टैपिंग की अनुमति मांगी !!

भ्रष्टाचार पर शिकंजा कसने के लिए विजिलेंस ने संदिग्ध लेन-देन में शामिल लोगों के फोन टैप करने का अधिकार मांगा है। साथ ही शासन से फोन रिकॉर्डिंग को बतौर प्रमाण स्वीकार करने के लिए भी कानूनी शक्ति देने की मांग की है।

विजिलेंस का मुख्य काम भ्रष्टाचार से जुड़ी शिकायतों की जांच करना है। इसमें एजेंसी, शिकायतकर्ता के साथ मिलकर सरकारी सेवकों को ट्रैप करने और आय से अधिक संपत्ति के मामलों की जांच करती है। पर यदि भ्रष्टाचार दो लोगों के लेनदेन से ज्यादा व्यापक स्तर पर चल रहा हो व उसमें शिकायतकर्ता भी सामने न आ रहा हो तो एजेंसी को ऐसे मामले को ट्रैक करने में दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। खासकर निजी लोगों के ऐसे मामलों में शामिल होने पर विजिलेंस के अधिकार सीमित हो जाते हैं।

ऐसे में विजिलेंस मुख्यालय ने शासन से फोन टैपिंग का अधिकार देने की मांग की है। साथ ही रिकॉर्ड की फोन कॉल को बतौर सुबूत पेश करने व रिवॉल्विंग फंड की भी मांग की है। कार्मिक एवं सतर्कता विभाग के एक उच्चाधिकारी ने कहा कि फोन टैपिंग निजता से जुड़ा मामला है, इस पर काफी मंथन के बाद फैसला होगा। रिवॉल्विंग फंड जैसे सुधार किए जा सकते हैं।