जहां एक तरफ दिन पर दिन शासन में तमाम कार्यों का डिजिटलीकरण किया जा रहा है वंही दूसरी ओर शासन पूर्व से चली आ रही एक डिजिटल प्रणाली को खत्म भी कर रहा है।
उत्तराखंड बनने के ठीक बाद वर्ष 2002 से सुचारू ऑनलाइन अधिसूचना पोर्टल को मौजूदा समय में मानो तमाम IAS अधिकारियों, सेक्शन ऑफिसरों तथा पर्सनल सेक्रेटरीओं ने दरकिनार कर दिया है।
शासकीय कार्यों में पारदर्शिता लाने के उद्देश्य से खोले गए अधिसूचना पोर्टल https://go.uk.gov.in/ के माध्यम से आप प्रदेश के किसी भी दुरस्त कोने में बैठकर हर एक विभाग का हर एक शासनादेश देख सकते थे
नियमानुसार प्रत्येक विभाग के सचिव, अपर सचिव व सेक्शन ऑफिसर द्वारा जारी किए गए प्रत्येक शासनादेश को अधिसूचना पोर्टल पर अपलोड करना अनिवार्य था।
वर्ष 2002 से 2017 तक सभी विभाग इस पोर्टल का इस्तेमाल कर तमाम उन शासनादेशों को यहां अपलोड किया करते थे, लेकिन 2017 के बाद से ना जाने ऐसा क्या हुआ कि धीरे-धीरे सभी अधिकारियों ने इसे गंभीरता से लेना बंद कर दिया।
अगर बात की जाए पिछले 1 वर्ष की तो सिर्फ चुनिंदा विभागों ने ही कुछ शासनादेश सार्वजनिक किए हैं, जिसमें से सिंचाई विभाग अव्वल रहा है।
अब देखना होगा कि खबर प्रसारित होने के बाद क्या सचिवालय प्रशासन के अधिकारी अपनी इस गलती को सुधरेंगे भी या फिर यह ढर्रा ऐसे ही चलता रहेगा।
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