अगले कुछ महीनों में सचिव बन रहे यह IAS अधिकारी, इस बार नहीं मिला मौका तो शासकीय सेवा में एक भी बार नहीं बन पाएंगे DM !!

उत्तराखंड ब्यूरोक्रेसी में इन दिनों कई IAS व IPS अधिकारी ऐसे हैं जो पहली बार DM व SSP बनने के इंतेज़ार में अपनी बारी की राह देख रहे हैं। अक्सर आपने अपने गुरुओं व शिक्षकों से सुना होगा कि सिविल सर्विसेज का पेपर निकाल दो फिर करते रहना जिंदगी भर शान से कलेक्टर गिरी, लेकिन उत्तराखंड में कई IAS व IPS ऐसे हैं जिन्हें वर्षों की नौकरी के बाद भी DM व SSP की कुर्सी नसीब नहीं हो पाई है।

ऐसा इसलिए हुआ है क्योंकि उत्तराखंड में IAS व IPS कैडर मैनेजमेंट दिन पर दिन खराब होता जा रहा है। छोटे प्रदेश होने के बावजूद भी हर वर्ष 3 से 4 नए IAS व IPS को उत्तराखंड कैडर अलॉट कर दिए जाते हैं। अधिकारियों की इतनी संख्या देख राज्य सरकार भी कभी कभार असमंजस में आ जाती है कि किसको जनपद की कमान दी जाए व किसको नहीं।

बात करें 2010 व 2011 बैच के IAS अधिकारियों की तो इसमें कुल 12 अधिकारी हैं जो जिनके पास जुम्मा जुम्मा कुछ समय ही कलेक्टर गिरी के लिए बचा है। 2010 बैच जनवरी 2026 में तो वहीं 2011 बैच जनवरी 2027 में सचिव रैंक पर पदोन्नत हो जाएगा। सचिव स्तर पर आते ही यह सभी जिलों की कुर्सी की दौड़ से बाहर हो जाएंगे। इन 12 अधिकारी में से 4 अधिकारी ( देव कृष्ण तिवारी, उमेश नारायण पांडे, राजेंद्र कुमार व ललित मोहन रयाल) ऐसे हैं जिन्हें अपनी सेवा के दौरान आतिथि तक जनपद की कुर्सी एक भी बार नसीब नहीं हो पाई है। वहीं इन 12 की सूची में अहमद इकबाल, आनंद स्वरूप भी शामिल है जिन्हें सिर्फ छोटे अंतराल के लिए एक बार के लिए ही पहाड़ी जनपद का जिलाधिकारी बनने का मौका मिला था। 12 की संख्या में बाकी बचे कुछ प्रतिनियुक्ति पर बाहर हैं तो कुछ अधिकांश बड़े जनपदों में तैनाती की पारी खेल चुके या फिर खेल रहे हैं। उसके अतिरिक्त 2012 व 2013 बैच में भी कई काबिल अधिकारी अपनी अपनी बारी का इंतजार कर रहे हैं। जिन्हें अभी तक पर्याप्त मौके नहीं मिले हैं।

शासन से लेकर जनपद तक कई कुर्सियों अभी भी रिक्त-

पहले बात करें शासन की तो 1 माह बीत जाने के बाद भी मुख्य सचिव आनंद वर्धन के विभाग अभी तक किसी को नहीं दिए गए हैं। इन दिनों आनंद वर्धन अपने मूल दायित्वों के साथ साथ कंधों पर अतिरिक्त बोझ लेकर कार्य कर रहे हैं। बतौर ACS रहते हुए जो विभाग आनंद वर्धन देख रहे थे वह आज भी मुख्य सचिव रहते हुए उन्हीं के पास बरकरार है। जिसमें कार्मिक, वित्त, जलागम व FRDC जैसे विभाग भी शामिल है। इन विभागों की रोजमर्रा की फाइलें भी फिलहाल मुख्य सचिव तक जा रही है जिस कारण से इन विभागों में समीक्षा की कमी तो पेंडेंसी में इजाफा हुआ है। अगर इसी प्रकार का ढर्रा चलता रहा तो आने वाले दिनों में मुख्य सचिव कार्यालय कई गुना बोझ के तले दबता जाएगा।

इसके अतिरिक्त शासन स्तर पर कुछ विभाग ऐसे भी हैं जिनमें वर्तमान सचिव सालों से तैनात हैं व कुछ तो अपने विभागों से परेशान होकर कई बार बड़े दरबार में विभाग हटाने का आग्रह भी कर चुके हैं। विभाग हटने की उम्मीद में बैठे कुछ अधिकारी न तो मन लगाकर विभागों में कार्य कर रहे हैं न ही बड़े निर्णय ले पा रहे हैं। बस दिन पर दिन उक्त सचिव इसी इंतजार में बैठे हैं कि अब विभाग हटेगा – तब विभाग हटेगा।

अब बात करें जनपद स्तर की तो CDO चमोली से लेकर नगर आयुक्त काशीपुर व ADM प्रशासन की कुर्सी भी काफी समय से खाली चल रही है। CDO चमोली व हरिद्वार में ADM प्रशासन की कुर्सी भरनी सरकार के लिए इसलिए भी अहम है क्योंकि चारधाम के मध्यनजर व्यवस्था को लेकर CDO व ADM अहम किरदार निभाता है। साथ ही साथ इन दिनों प्रदेश भर में जिला कॉपरेटिव बैंकों में CDO को पदेन प्रशासक नियुक्त किया गया है, लेकिन चमोली में पद खाली होने के कारण न जाने कौन वहां इन दायित्वों का निर्वहन कर रहा होगा। चर्चा यह भी है कि आगामी कुंभ मेला को देखते हुए हरिद्वार को जल्द ही नया ADM प्रशासन मिल सकता है।

कुछ दिन पूर्व आयुक्त गन्ना के पद से हटाए गए एक PCS अधिकारी के जगह भी अभी तक किसी को तैनात नहीं किया गया है। वह अहम कुर्सी भी इन दिनों वीरान सी पड़ी हुई है।