उत्तराखंड की चौगर्खा बकरी की नस्ल को केंद्र सरकार (कृषक एवं किसान कल्याण मंत्रालय) द्वारा एक विशिष्ट नस्ल के रूप में आधिकारिक तौर पर मान्यता मिली है।जिसको लेकर आज केंद्र सरकार ने गजट जारी कर उत्तराखंड की चौगर्खा बकरी को राष्ट्र स्तर पर नई पहचान दी है।
बता दें कि पंतनगर विश्वविद्यालय कई समय से उत्तराखंड में पाई जानी वाली नस्ल की बकरी को राष्ट्रीय पहचान दिलाने पर शोध कर रहा था। जिस क्रम में आज आईसीएआर-एनबीएजीआर के अप्रूवल के बाद आज उक्त गजट जारी हुआ है।
जानकारी के अनुसार मुख्य रूप से चौगर्खा बकरी अल्मोड़ा के भैंसिया छाना, धौलादेवी, धौलछीना, नौगांव, लमगड़ा और उत्तराखंड के बागेश्वर और पिथौरागढ़ जिलों के आसपास के क्षेत्र में पायी जाती है तथा समशीतोष्ण जलवायु के अनुकूल हैं। यह नस्ल आकार में छोटी होती है और मांस के उद्देश्य से पाली जाती है। औसतन एक छोटी बकरी का वजन भी 40 किलो तक देखने को मिलता है। चौगर्खा का ब्रीडिंग ट्रेक्ट अल्मोड़ा के चितई से दनिया क्षेत्र की चौगरखा पट्टी में है। जिससे इस बकरी का नाम चौगरखा / चौगर्खा रखा गया है।
वर्तमान में कुछ गांवों में पंतनगर विश्वविद्यालय व उत्तराखंड पशुपालन विभाग चौगरखा बकरी को लेकर शोध कार्य कर रहा है। अच्छे परिणाम के बाद विस्तार किया जाएगा। वर्तमान में IVRI मुक्तेश्वर में चौगरखा बकरियों की शुद्ध नस्ल के लगभग 170 पशु संरक्षित किए गए है, जिनकी उत्पादन एवं प्रजनन क्षमता बढ़ाने के लिए वैज्ञानिक लगातार शोध कार्य किए जा रहे हैं।
DOON MIRROR से बातचीत में सचिव पशुपालन बी.वी.आर.सी पुरूषोतम ने बताया कि यह हर्ष की बात है कि उत्तराखंड नस्ल बकरी को राष्ट्रीय मान्यता मिली है। आगे भी पशुपालन विभाग इस नस्ल के सुधार एवं संरक्षण के लिए और तेजी से कार्य करेगा।



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