स्मार्ट सिटी में हुई कई अनियमितता, कई करीबियों को मिली अवैध तैनाती, टेंडर व बजट व्यय में तक हुए करोड़ों के खेल, शासन ने सभी जांचों पर साधी चुप्पी !!

उत्तराखंड के इकलौते स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट यानी देहरादून स्मार्ट सिटी लिमिटेड की पोल अब धीरे धीरे खुलने लगी है। चाहे चहेतों की अवैध तैनाती का मामला हो या गलत टेंडर देने का जैसे जैसे स्मार्ट सिटी अपने अंतिम दौर में जा रहा है वैसे वैसे कई राज अब दबी पड़ी फाइलों से बाहर आते जा रहे हैं।

बात करें अवैध तैनाती की तो स्मार्ट सिटी के ही तत्कालीन CGM पदम कुमार ने ही शासन को शिकायती पत्र लिख स्मार्ट सिटी में हुई कुछ अवैध नियुक्ति का पर्दाफाश किया, लेकिन उक्त प्रकरण के तुरंत बाद CGM को स्मार्ट सिटी से बाहर का रास्ता दिखा दिया गया। यहां तक की 1 साल तक जैसे तैसे कर प्रकरण को दबाया गया, पर जब प्रकरण पर ख़बरबाजी हुई तो शिकायती पत्रों के आधार पर शासन के निर्देश पर बनाई गई जांच कमेटी बनाई गई, व आज कई महीनों बाद भी अवैध नियुक्तियों की जांच कर रही कमिटी अपनी रिपोर्ट न दे सकी।

वंही अकाउंटेंट जनरल (ऑडिट) उत्तराखंड ने अपनी रिपोर्ट में स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट में फिजूलखर्च करने को लेकर भी सवाल उठाए हैं। रिपोर्ट के अनुसार स्मार्ट सिटी के स्टाफ को 34 लाख रुपये का भुगतान किया गया, जबकि वह उपस्थिति रजिस्टर के अनुसार उपस्थित नहीं थे व सीईओ स्मार्ट सिटी ने एक आईटी विशेषज्ञ का CV / रिज्यूम इस आधार पर खारिज कर दिया कि उक्त विशेषज्ञ की योग्यता आवश्यकता के अनुरूप नहीं थी। कंपनी के प्रतिनिधित्व के बाद डीएससीएल ने उसी आईटी विशेषज्ञ की तैनाती के लिए मंजूरी दी और कंपनी को 36 लाख रुपये का भुगतान किया।

नामी निजी स्कूल तक की करोड़ों की दीवार सरकारी धन से बना दी गयी-

अकाउंटेंट जनरल (ऑडिट) उत्तराखंड की रिपोर्ट के अनुसार स्मार्ट रोड परियोजना के तहत चकराता रोड पर नामी निजी स्कूल की दीवार को स्थानांतरित करने के लिए कार्य के दायरे से बाहर 4 करोड़ 92 लाख रुपये खर्च किए गए, जबकि पूर्व में बनी दीवार को अतिक्रमण माना गया था। अब सवाल यह भी खड़ा होता है कि ऐसी क्या मजबूरी थी या किस अधिकारी का बच्चा उस विद्यालय में पड़ता है कि स्मार्ट सिटी लिमिटेड को इतना बड़ा कदम उठाकर सरकारी धन का दुरुपयोग करना पड़ा।

CAG की रिपोर्ट में यह भी उल्लेख है कि देहरादून स्मार्ट सिटी लिमिटेड द्वारा पर्यावरण सेंसरों पर 2 करोड़ 62 लाख रुपये का बजट खर्च किया गया, जबकि उन सेंसर का मॉडल काफी पुराना था व केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा निर्धारित मानदंडों को भी पूरा नहीं कर रहा था।

वंही परेड ग्राउंड में बिना टेंडर किए 2 करोड़ 93 लाख रुपये का बजट खर्च करने का भी रिपोर्ट में जिक्र किया गया है।

सत्ता पक्ष के विधायक तक ने केंद्र को की शिकायत, लेकिन ढाक के तीन पात –

जनपद देहरादून के राजपुर विधानसभा सीट से विधायक खजान दास ने भी कुछ माह पूर्व स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट में हुई अनियमितता की शिकायत केंद्रीय शहरी विकास मंत्री को की थी, जिसके बाद केंद्र ने उत्तराखंड शासन से उक्त प्रकरण पर आख्या मांगी थी, लेकिन आतिथि तक वह आख्या नही भेजी गई है।

DM पद से हटाया गया लेकिन चार्ज सोनिका के पास ही –

जहां एक तरफ राज्य सरकार ने आईएएस सोनिका मीना को DM देहरादून से हटाते हुए अन्य पद पर तैनात किया है लेकिन शासन के आदेशानुसार अभी तक CEO, स्मार्ट सिटी का प्रभार किसी को नही दिया गया है जिस कारण से फिलहाल CEO पद का प्रभार अभी भी सोनिका के पास ही है। बता दें कि हमेशा से ही यह प्रभार जिलाधिकारी देहरादून या फिर VC MDDA के पास ही रहा है। चर्चा है कि जल्द ही उक्त प्रभार सोनिका से हटा दिया जाएगा।