उत्तराखंड राज्य का भाषा विभाग इन दिनों बिना सचिव के ऑटो-पायलट मोड़ में चल रहा है। पूर्व सचिव विनोद प्रसाद रतूड़ी के सेवानिवृत्त होने के बाद से अभी तक यानी 2 माह बीत जाने के बाद भी विभाग को कोई भी सचिव नसीब न हो सका है।
बता दें कि मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने सोमवार को आई.आर.डी.टी सभागार सर्वे चौक देहरादून में उत्तराखण्ड भाषा संस्थान द्वारा आयोजित ‘उत्तराखण्ड साहित्य गौरव सम्मान -2024’ समारोह में प्रतिभाग कर विभिन्न साहित्यकारों एवं भाषाविदों को सम्मानित किया है।
लेकिन इस कार्यक्रम में सचिव भाषा के नाते कोई भी अधिकारी मौजूद नहीं रहा, कार्यक्रम की जिम्मेदारी भी निदेशक स्तर पर IAS स्वाति भदौरिया संभालती हुई नजर आयी। उत्तराखंड की बोली व साहित्यिक परंपरा को संग्रहित करने वाला महत्वपूर्ण भाषा विभाग बिन सचिव के कैसे चल रहा है यह सवाल काफी चिंताजनक है।
यह कोई पहला प्रकरण नहीं है जब शासन स्तर पर या फिर जनपद स्तर की प्रशासनिक कुर्सियां खाली पड़ी हुई है। पुलिस महकमे से लेकर जनपदों के ADM की कुछ कुर्सियां इन दिनों खाली पड़ी हुई है साथ ही साथ कुछ अधिकारी नवीन तैनाती के इन्तेजार में बैठे हैं व कुछ मुफ्त की तनख्वा तक ले रहे हैं।

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