ट्रैफिक पर नीति नियम बनाने वाले सचिवालय व अमल में लाने वाले पुलिस मुख्यालय के पास खुद नही है प्राप्त पार्किंग, सड़क पर खड़ी होती है अधिकारियों, कर्मचारियों व आगंतुकों के वाहन !!

जहाँ एक तरफ सड़क पर पार्किंग करने वालों के वाहन दून के मुख्य सड़कों से ट्रैफिक पुलिस तुरंत टोइंग कर उठाकर ले जा रही है वंही जिस सचिवालय में प्रदेशभर की योजनाएं बनती हैं पार्किंग व ट्रैफिक व्यवस्था से जुड़े प्रोजेक्ट को लेकर भी अक्सर मंथन व नए नीति नियम बनते हों, वहां खुद पार्किंग की प्रयाप्त व्यवस्था नहीं है। जिस पुलिस विभाग के कंधों पर ट्रैफिक व्यवस्था सुचारू करने व ट्रैफिक व गलत पार्किंग पर चलानी कार्यवाई करने का जिम्मा हो उस विभाग की खुद अधिकतर गाड़ियां सड़क पर लग रही है। चाहे अधिकारी हो या कर्मचारी सबकी गाड़ियां सड़क पर ही लग रही है।

बता दें कि प्रतिदिन ऑफिस ऑवर में सुभाष रोड पर दोनों तरफ वाहन बेतरतीब तरीके से खड़े हो रहे हैं। मतलब साफ है, जहां से नियम बनते हैं व अमल में लाये जाते हैं वहीं नियमों का पालन नहीं हो पा रहा है।

सचिवालय व पुलिस मुख्यालय के बाहर ही नहीं, दून की बाकी सड़कों का भी यही हाल है, जिस कारण आम जनता आए दिन जाम में फंस रही है। अब सवाल उठ रहे हैं कि जब सचिवालय के आसपास पार्किंग की पर्याप्त सुविधा नहीं है तो प्रदेशभर में पार्किंग की समस्या कैसे दूर होगी? जबकि, सचिवालय व पुलिस मुख्यालय में रोजाना बड़ी संख्या में लोग पहुंचते हैं। स्थिति यह है कि दोनों परिसर में स्टाफ की गाड़ियों के लिए पर्याप्त पार्किंग नहीं है। लोग मजबूरी में सुभाष रोड पर वाहन खड़े कर दे रहे हैं।

उक्त प्रकरण पर से SP ट्रैफिक सर्वेश पंवार ने DOON MIRROR को बताया कि देहरादून में सुभाष रोड पर सचिवालय के आसपास जो वाहन खड़े हो रहे हैं, वह अवैध तरीके से पार्क हो रहे हैं। ऐसे मामलों में टोइंग की कार्रवाई समय-समय पर की जाती है। अब विशेष अभियान चलाकर क्रेन भेजकर कार्रवाई की जाएगी।

सचिवालय व पुलिस मुख्यालय शिफ्ट करने का था प्रस्ताव

सचिवालय व पुलिस मुख्यालय के कारण शहर में लग रहे जाम व इन परिसरों में अधिकारियों के बैठने के लिए प्रयाप्त जगह न होने ने कारण कुछ वर्ष पूर्व तत्कालीन सरकार ने सचिवालय व पुलिस मुख्यालय को शहर से दूर रायपुर थानों रोड पर शिफ्ट करने का मन बनाया था। जिसके लिए एक बार सरकारी भूमि की पैमाइश भी की गई थी लेकिन तबसे अबतक इस प्रोजेक्ट पर कोई प्रगति देखने को नही मिली है। तबके प्रस्ताव के अनुसार उत्तराखंड में गुजरात के तर्ज पर एक ही कैंपस में सचिवालय व सभी विभागों के निदेशालय बनाने का प्लान था। लेकिन आज तक जमीनी स्तर पर कोई काम न हो सका है।