तूल पकड़ते जा रहा फर्जी स्थायी निवास प्रमाण पत्र प्रकरण, अब इस विभाग के इंजीनियरों के प्रमाण पत्र पाए गए फर्जी, DM करेगी जांच !!

स्वास्थ्य विभाग के बाद अब जल निगम में फर्जी प्रमाण पत्रों से नौकरी लेने वालों की जांच-पड़ताल तेज हो गई है। यूपी के निवासी होने के बावजूद सिर्फ 14 साल के आधार पर उत्तराखंड का स्थाई निवास बनाने वालों की जांच डीएम दून स्तर से होगी। इसके लिए जल निगम ने जिला प्रशासन को संदिग्ध लोगों के प्रमाण पत्र सौंप दिए हैं।

जल निगम में 2005, 2007 और 2014 में एई और जेई की हुई भर्ती में फर्जीवाड़े हुए। ऐसे ही फर्जीवाड़ों में चार इंजीनियरों की सेवाएं 20 साल की नौकरी के बाद भी बर्खास्त की जा चुकी हैं। अब सामने आ रहे अन्य मामलों की पड़ताल शुरू हुई है। ताजा मामला यूपी में पूरी पढ़ाई-लिखाई करने वाले एक एई से जुड़ा है, जिसने 2007 में जूनियर इंजीनियर की भर्ती के दौरान देहरादून से बने हुए स्थाई प्रमाण पत्र के लिहाज से आवेदन किया। देहरादून से ही ओबीसी प्रमाण पत्र भी बना लिया। ऐसे में सवाल उठ रहा है कि जब पूरी शिक्षा यूपी की होने के साथ ही मूल रूप से घर भी यूपी में है तो दून से किस तरह सिर्फ रिश्तेदार के आवास से स्थाई निवास, जाति प्रमाण पत्र कैसे जारी हो गया। मामला खुलने के बाद जल निगम मैनेजमेंट ने डीएम देहरादून से इस स्थाई निवास और जाति प्रमाण पत्र पर रिपोर्ट मांगी है। डीएम की रिपोर्ट के बाद अब आगे इस पूरे प्रकरण पर कार्रवाई की जाएगी

जल निगम में एई पद पर नौकरी के लिए दो-दो जाति प्रमाण पत्र दिखाने का मामला भी शासन स्तर पर पहुंच गया है। वर्ष 2014 में नियुक्त एक सहायक अभियंता ने आवेदन के वक्त यूपी के बिजनौर का बना प्रमाण पत्र जमा कराया। नियुक्ति के समय पौड़ी (उत्तराखंड) से बना प्रमाण पत्र जमा कराया गया। इस मामले में सहायक अभियंता के रिश्तेदारों ने ही पेयजल निगम मैनेजमेंट को लिखित शिकायत की। इस मामले में भी अब जांच पूरी हो चुकी है। लेकिन, कार्रवाई से पूर्व शासन से राय मांगी गई है।