उत्तराखंड के विभिन्न क्षेत्रों में धान की फसल में विषाणुजनित बोनापन रोग का प्रकोप देखा जा रहा है, जिसे लेकर उत्तराखंड कृषि विभाग ने किसानों को सतर्क किया है। विभाग की ओर से बताया गया है कि यह रोगग्रस्त पौधों में स्वास्थ्यहीनता के साथ-साथ अधिक कल्ले फूटने, छोटी पतियों, पीले या काले धब्बे तथा पत्तियों पर जंग जैसे लक्षणों के रूप में सामने आता है।
इसके अलावा, रोग से प्रभावित पौधों की बढ़वार रुक जाती है और वे झुंड बनाकर बोने लगते हैं। पौधों की जड़ें ऊपर-नीचे तथा भूरी कठोर अथवा काली हो जाती हैं।
कृषि विभाग की सलाह
- नियमित रूप से अपने खेतों की निगरानी करें
- खेतों के मेड़ और किनारों को साफ-सुथरा रखें और अधिक जलभराव न होने दें
- संतुलित मात्रा में उर्वरकों का प्रयोग किया जाए।
रोकथाम हेतु दवाइयों का प्रयोग करें
- क्लोरोपायरीफॉस 20 ईसी – 500 मि.ली. प्रति एकड़
- डायनोटेफ्यूरॉन 20 एसजी – 80 ग्राम प्रति एकड़
- बुप्रोफेजिन 25 एससी – 335 मि.ली. प्रति एकड़
- फ्लोनिकामिड 50 डब्ल्यूजी – 60 ग्राम प्रति एकड़
- एसीफेट 75 एसपी – 250 ग्राम प्रति एकड़

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