गैस सिलेंडर के मामले में शहर के कई उपभोक्ता रोज ठगी का शिकार हो रहे हैं। उपभोक्ताओं का यह अधिकार है कि डिलेवरी से पहले उन्हें गैस सिलेंडर तोल कर दिखाया जाए। इसके विपरित अधिकांश हॉकर डिलेवरी के दौरान अपने साथ तोलकांटा रखते ही नहीं है। और जो हॉकर तोल कांटा रखते भी हैं तो उपभोक्ता को दिखाते नहीं है। इसके चलते न यह स्पष्ट होता है कि सिलेंडर का कुल वजन कितना है और न ही गैस चोरी उजागर हो पाती है।
देहरादून में इस जालसाजी का खुलासा तब हुआ जब अजबपुर निवासी एक उपभोक्ता ने होम डिलीवरी हुए सिलेंडर को घर पर तोला, तोह पता चला कि उनके सिलेंडर में 3 किलो 200 ग्राम गैस कम थी। आपको बता दें कि उपभोक्ता द्वारा उक्त मामले की शिकायत कंजूमर फोरम में कर दी गई है।
न जाने उत्तराखंड में कितने लोगों को गैस एजेंसी ऐसे ही चुना लगाती है। एक तो गैस सिलेंडर के बढ़ते दाम ऊपर से गैस की चोरी। प्रदेश में रसोई गैस उपभोक्ताओं के अधिकारों को लेकर कोई भी जिम्मेदार सक्रिय नहीं है। न शासकीय विभाग गैस सिलेंडर की कालाबाजारी और गैस चोरी रोकने में मुस्तैद है और नहीं एजेंसी या ऑइल कंपनी के जिम्मेदार अधिकारी। इसका सीधा खमियाजा कई उपभोक्ताओं को ठगी के रूप में झेलना पड़ रहा है।
उपभोक्ताओं तक गैस सिलेंडर पहुंचाने के लिए शहर में दिन भर सैकड़ो हॉकर्स सिलेंडर लेकर यहां-वहां घूमते नजर आते हैं। इसके बावजूद न नापतोल, खाद्य विभाग के अधिकारी सिलेंडर्स की आकस्मीक जांच करते हैं और नहीं एजेंसी या ऑइल कंपनी के सेल्स अधिकारी अपनी जिम्मेदारी निभाते हैं। नतीजतन उपभोक्ता तक सिलेंडर पहुंचने से पहले उसमें से 2-3 किलो गैस चोरी होने की आशंका बनी रहती है।
आपको बता दें कि घर पर आने वाले एक घरेलू सिलेंडर में 14.2 किलोग्राम गैस होती है। इसके अलावा खाली सिलेंडर का वजन अलग होता है। खाली सिलेंडर के वजन की जानकारी सिलेंडर पर दी होती है। ऐसे में जब भी आप सिलेंडर लें तो 14.2 और खाली सिलेंडर के वजन को मिलाकर वजन करें।
उद्दाहरण के तौर पर अगर आपके घर आए सिलेंडर पर 15.6 अंकित हैं, तोह इसका मतलब है कि आपके भरे सिलेंडर का वजन 15.6 + 14.2 = 29.8 किलोग्राम होना चाहिए।
अगर गैस सिलेंडर का वजन 150 ग्राम या अधिक कम है तो आप मुहरबंद सिलेंडर स्वीकार करने से मना कर सकते हैं और ग्राहक सेवा प्रकोष्ठ से संपर्क कर सकते हैं। इसके अलावा आप टोल फ्री नंबर पर कॉल कर सकते हैं। साथ ही मंत्रालय और गैस कंपनी की आधिकारिक वेबसाइट या एजेंसी पर इसकी शिकायत कर सकते हैं।
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