अपनी मांगों को मनवाने के लिए देहरादून में कल सबह से ही युवा एकत्रित होने शुरू हो गए थे। भीड़ बढ़ती गयी छात्र आक्रोशित होते गए, पत्थरबाज़ी व लाठीचार्ज हुआ और अंत में दोनों खेमों के कई लोग चोटिल हुए।
आपको बता दें कि जब यह सब कुछ हो रहा था तो जनपद की जिलाधिकारी व एसएसपी एम्स ऋषिकेश में एडिक्शन ट्रीटमेंट फैसिलिटी केंद्र (एटीएफ) का शुभारंभ कर रहे थे।
कार्यक्रम खत्म कर डेढ़ बजे गांधी पार्क पंहुचे DM – SSP
राजपुर रोड पर सुबह 9 बजे ही भीड़ जुटना शुरू हो गयी थी, सुबह से ही जिला प्रशासन व पुलिस प्रशासन ने इस आंदोलन को हल्के में लिया, न तोह DM ना ही SSP ने सुबह सुबह मौके का जायजा लिया। हैरत की बात तोह तब हुई जब सुबह 10 बजे जिलाधिकारी व एसएसपी अपने तय कार्यक्रम के अनुसार ऋषिकेश के लिए प्रस्थान करते हैं।
उस वक्त गांधी पार्क पर कुछ अधिनस्त अधिकारी जरूर थे लेकिन वह सब छात्रों को नही मना पाए। फिर गांधी पार्क के बाहर युवाओं ने प्रदर्शन करते हुए जाम लगा दिया। इसकी सूचना पर सिटी मजिस्ट्रेट, एसडीएम और जिले के दोनों एडीएम मौके पर पहुंचे। वहीं पुलिस से एसपी क्राइम, एसपी सिटी समेत शहर व देहात के कई थानों का फोर्स था। उन्होंने युवाओं को समझाते हुए जाम खुलवाने की कोशिश की।
उनके प्रयास नाकाम रहे और शासन से दबाव बढ़ा तो दोपहर को आईजी गढ़वाल रेंज करन सिंह नगन्याल, इसके थोड़ी देर बाद करीब 1:30 बजे डीआईजी देहरादून दलीप सिंह कुंवर, डीएम सोनिका मौके पर पहुंच गए। तीनों ने युवाओं से दो घंटे से ज्यादा समय तक वार्ता कर समझाने व जाम खुलवाने की कोशिश की। पर युवाओं ने एक नहीं सुनी। वह घपलों की सीबीआई जांच समेत अन्य मांगों पर अड़े रहे। साथ ही वार्ता को सीएम या शिक्षा मंत्री को मौके पर बुलाने की मांग की।
प्रशासन-पुलिस के अफसर युवाओं के समझाने में नाकाम रहे। इसके बाद शाम करीब चार बजे स्थिति तेजी से बदली। पहले प्रदर्शनकारियों की ओर से पथराव में पुलिस को दौड़ना पड़ा तो बाद में पुलिस ने लाठीचार्ज करते हुए युवाओं को दौड़ाया गया।
अब सवाल यह खड़ा होता है कि जिन अधिकारियों के हाथ में जिले की कमान दी गयी है क्या उन्होंने इस आंदोलन को रोकने के लिये शुरू में सुबह सुबह कोई प्रयास किया ? या फिर उन्हें इस आंदोलन की सटीक जानकारी नही थी जिस कारण वह ऋषिकेश के लिए प्रस्थान कर देते हैं।
वंही एक रिटायर्ड प्रशासनिक अधिकारी ने DOON MIRROR को बात साझा करते हुए बताया कि अगर सुबह ही जिलाधिकारी व कप्तान छात्रों के बीच जा कर उन्हें आग्रह करते व उनकी बात टॉप लेवल से करवाते तोह देहरादून में हालात ऐसे न बिगड़ते।
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