उत्तराखंड में किसी व्यक्ति को राजनैतिक दबाव के कारण फसाना हो या फिर निजी एजेंडे के तहत, यह प्रचलन आज से नही बल्कि कई वर्षों पूर्व से ही अपनाया जा रहा है। कुछ ऐसा ही NH 74 प्रकरण में अब सामने आया है। हैरत की बात यह है कि पुलिस विभाग द्वारा बनाई गई SIT की एक भूल या नासमझी उक्त प्रकरण पर SIT की भूमिका को संदेहजनक कर रहा है।
बता दें कि दिनांक 10 मार्च 2017 को NH 74 प्रकरण में थाना पंतनगर में PCS अधिकारी डी.पी सिंह सहित अन्य के खिलाफ कई धाराओं में मुकदमा दर्ज किया जाता है। दिनांक 31 जनवरी 2018 को SIT कोर्ट में चार्जशीट जमा कर देती है व PCS अधिकारी डी.पी सिंह तत्कालीन SLAO पर लगे आरोपों की अध्यारोपित करती है।
उक्त चार्जशीट में PCS अधिकारी डी.पी सिंह पर सरकार द्वारा NH 74 विस्तार हेतु अधिकृत की जा रही जमीन को अकृषक (नॉन एग्रीकल्चर) दिखाकर भूमि स्वामी को कई गुना रेट पर प्रतिकर का भुगतान करने का आरोपों का अध्यारोपण होना दिखाया गया है। लेकिन हैरत की बात यह है कि तत्कालीन SIT के विवेचक द्वारा चार्जशीट जमा करने के डेढ़ वर्ष बाद यानी दिनांक 12 जुलाई 2019 को जिलाधिकारी व SLAO (विशेष भूमि अधिकृत अधिकारी) उधमसिंह नगर पत्र लिख विवेचना की बुनियादी जानकारी मांगी। जबकि विवेचक द्वारा उक्त मामले में चार्जशीट डेढ़ साल पूर्व ही कोर्ट में जमा कर दी गई थी।
दिनांक 3 सितंबर 2019 को विशेष भूमि अधिकृत अधिकारी उधम सिंह नगर द्वारा उक्त पत्र का जवाब देते हुए सभी शासनादेशों का हवाला देते हुए सभी नियम कानून का जिक्र किया।
इस घटनाक्रम से यह स्पष्ट है कि कार्यालय विशेष भूमि अधिकारी, ऊधमसिंह नगर के पत्र से पूर्व विवेचक एसआईटी को प्रतिकर निर्धारण की प्रक्रिया एवं तत्समय प्रचलित राष्ट्रीय राजमार्ग अधिनियम, भूमि अर्जन, पुनर्वासन और पुर्नवस्थापन में उचित प्रतिकर और पारदर्शिता का अधिकार अधिनियम के प्राविधानों का ज्ञान नही था। इसके बावजूद विवेचक ने विधिविरूद्ध जांच करते हुए बिना साक्ष्यों के शासन को गुमराह कर PCS अधिकारी दिनेश प्रताप सिंह के लिए उत्तराखण्ड शासन (कार्मिक विभाग) से अभियोजन चलाने की स्वीकृति प्राप्त की व साथ ही साथ बिना बुनियादी जानकारी के ही न्यायालय में चार्जशीट जमा कर दी गयी।
उक्त प्रकरण के जानकार व उस समय उधमसिंह नगर में तैनात अधिकारी यह भी बताते हैं कि SIT की जांच में जांच अधिकारी द्वारा सिर्फ मौखिक बंयानो के आधार पर ही आरोपियों के विरूद्ध चार्जशीट दी गयी थी।
वंही अब मामला प्रकाश में आने के बाद क्या राज्य सरकार व शासन इस प्रकरण में जांच कर रही SIT के विवेचक एवं सदस्यों / पुलिसकर्मियों की जवाबदेही तय करेगी ?
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