जियो थर्मल एनर्जी प्लांट की कार्यप्रणाली देखने, टीम संग आइसलैंड पंहुचे सचिव ऊर्जा; बद्रीनाथ में लगना है देश का पहला प्लांट !!

उत्तराखंड के चमोली जनपद में लगने जा रहे जियो थर्मल एनर्जी प्लांट के मध्यनजर सचिव ऊर्जा के नेतृत्व में विभागीय तकनीकी दल आइसलैंड पंहुचा है।

बता दें कि उत्तराखंड में जियो थर्मल एनर्जी पर आइसलैंड के साथ मिल कर काम होगा। आइसलैंड में जियो थर्मल एनर्जी क्षेत्र में हुए कार्यों को देखने उत्तराखंड से एक दल रवाना हो गया है जो किस तरह बिजली उत्पादन किया जा सकता है, इसकी संभावनाओं को तलाशेंगे। पायलट प्रोजेक्ट के रूप में सबसे पहले बदरीनाथ क्षेत्र में जियो थर्मल एनर्जी पर काम होगा।

DOON MIRROR से हुई वार्ता के दौरान सचिव ऊर्जा आर मीनाक्षी सुंदरम ने बताया कि उत्तराखंड के पर्वतीय क्षेत्रों के गर्म पानी के कुंडों का सर्वे एक टीम पूर्व में ही कर चुकी है जिसके बाद अब उत्तराखंड के इन कुंडों को जिओ थर्मल पॉवर प्लांट के लिए उपयुक्त माना गया है, जल्द ही इस संबंध में मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में MOU किये जाएंगे।

जियोथर्मल एनर्जी क्या है ?

जियोथर्मल एनर्जी एक तरह की रिन्‍यूएबल एनर्जी है जो धरती की सतह के नीचे जुटी ऊष्मा से प्राप्त होती है। यह ऊष्मा धरती के निर्माण और खनिजों के रेडियोएक्टिव डिकम्‍पोजिशन यानी क्षय से पैदा होती है। सक्रिय जियोथर्मल क्षेत्रों में यह ऊष्मा गर्म पानी या भाप पैदा करती है। इसका इस्‍तेमाल बिजली पैदा करने की खातिर टरबाइन को चलाने के लिए किया जा सकता है। उसी भाप का इस्‍तेमाल आगे इमारतों को गर्म करने, खेती करने या गर्म पूलों को पानी देने के लिए किया जा सकता है, जो पर्यटकों के आकर्षण का केंद्र बन सकता है।

जियोथर्मल एनर्जी के क्या फायदे हैं?

क्‍लीन और रिन्‍यूएबल: जियोथर्मल एनर्जी जीवाश्म ईंधन की तुलना में न्यूनतम ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन पैदा करती है। यह एक रिन्‍यूएबल रिसोर्स है। कारण है कि धरती के भीतर की गर्मी की भरपाई प्राकृतिक प्रक्रियाओं की ओर से लगातार की जाती है। धरती से निकाला गया गर्म पानी उसकी ऊष्मा का इस्‍तेमाल करने के बाद वापस जलाशय में डाल दिया जाता है।

विश्वसनीय बेसलोड बिजली: पवन और सौर जैसे कुछ अन्य नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों के उलट जियोथर्मल पावर प्‍लांट 24/7 काम कर सकते हैं, जो ग्रिड को समर्थन देने के लिए बेसलोड बिजली प्रदान करते हैं।