इस दीपावली महंगाई के कारण पटाखा कारोबार सुस्त रहा। कारोबारियों के अनुसार, कोरोनाकाल से पहले की तुलना में इस बार कारोबार आधा भी नहीं हुआ। शहर में आतिशबाजी भी तुलनात्मक रूप से कम हुई। प्रदूषण के कम हुए आंकड़े भी इसकी तस्दीक कर रहे हैं।
दरअसल, इस बार बीते साल की तुलना में पटाखों की कीमत 30 से 40 फीसदी तक बढ़ी। सबसे ज्यादा बिकने वाले पटाखों में शामिल मुर्गा छाप के एक पैकेट की कीमत ही 20 रुपये पहुंच गई थी, यह बीते सालों तक 10 रुपये था। ऐसे ही जिन पटाखों के पैकेट बीते साल तक 100 रुपये में आ जाते थे, उनकी कीमत 130 से 140 तक पहुंच गई।
शहर के पटाखा कारोबारियों ने बताया कि निर्माण सामग्री के रेट बढ़ने, पेट्रोल-डीजल महंगा होने से ढुलान आदि बढ़ने से पटाखे महंगे हुए हैं।
वहीं कुछ लोगों का यह भी मानना है कि दिन पर दिन लोगों में पटाखे फोड़ने का शौक भी खत्म होता जा रहा है ।

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