कैबिनेट मंत्री धन सिंह रावत के अब स्वास्थ्य विभाग में भी हुआ भर्ती घोटाला, DOON MIRROR की RTI में हुआ खुलासा !!

सहकारिता विभाग के बाद अब कैबिनेट मंत्री धन सिंह रावत के दूसरे विभाग यानी स्वास्थ्य विभाग में भी हुआ भर्ती घोटाला, जिसका RTI में हुआ खुलासा।

बता दें कि कुछ दिन पूर्व ही चिकित्सा चयन बोर्ड ने सीनियोरिटी के आधार पर नर्सिंग अधिकारी के पद पर 1564 अभ्यार्थियों का चयन कर सूची जारी की थी। लेकिन हैरत की बात यह है कि इस सूची में कई फर्जी दस्तावेजों के सहारे चयन प्रक्रिया में शामिल हो गए हैं जिसपर न ही चिकित्सा चयन बोर्ड का ध्यान गया न ही स्वास्थ्य विभाग का, जब इसकी शिकायत एक नर्सिंग संगठन ने की तो चिकित्सा चयन बोर्ड व स्वास्थ्य निदेशालय के मठाधीशों के पैरों के नीचे से जमीन हिल गयी व मामले को रफा दफा करने की कोशिशें तक की गई।

फिर क्या था शासन स्तर पर जारी हुए आदेशों पर चिकित्सा चयन बोर्ड व स्वास्थ्य निदेशालय स्तर पर आनन फानन में जांच शुरू हुई तो पाया गया कि भर्ती पर लगे आरोप सत्य प्रतीत होते हैं व कुछ अभ्यर्थी अधूरे दस्तावेज व फर्जी मूल निवास प्रमाण पत्र के माध्यम से चयन प्रक्रिया में शामिल होते हैं व स्क्रूटनी के बाद भी बिना किसी आपत्ति के चयन सूची में इनका नाम आ जाता है।

DOON MIRROR को RTI में मिली सूचना के अनुसार, संविदा एवं बेरोजगार स्टाफ नर्सेज महासंघ शासन को एक पत्र लिख 8 अभ्यार्थियों के बारे में सूचित करता है कि कैसे यह 8 अभ्यर्थी फर्जी दस्तावेजों के माध्यम से चिकित्सा चयन बोर्ड की अंतिम चयन सूची में शामिल हो जाते हैं। जिसपर शासन जब चिकित्सा चयन बोर्ड व नर्सिंग काउंसिल से जवाब मांगता है तो जांच रिपोर्ट में पता चलता है कि 8 में से 3 अभ्यार्थियों ने अधूरे व फर्जी दस्तावेज के माध्यम से नर्सिंग काउंसिल में पंजीकरण करवाया है। वंही अन्य 5 अभ्यर्थियों के डोमिसाइल फर्जी होना प्रकाश में आया है जिसकी जांच हेतु स्वास्थ्य निदेशालय द्वारा जिला प्रशासन को पत्र लिखा गया है।

सिर्फ 8 पर जांच करके विभाग ने झाड़ा पल्ला

जिन 8 अभ्यर्थियों की शिकायत नर्सेज संगठन ने की थी स्वास्थ्य विभाग, स्वास्थ्य निदेशालय, नर्सिंग कॉउन्सिल व चिकित्सा चयन बोर्ड ने भी सिर्फ इन्ही 8 की जांच करके अब पल्ला झाड़ दिया है। DOON MIRROR को विभागीय सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार इन 8 के इलावा भी कई औऱ ऐसे अभ्यर्थी चयन सूची में शामिल है जिनका या तो स्थायी निवास प्रमाण पत्र फर्जी है या फिर नर्सिंग कॉउन्सिल में रेजिस्ट्रेशन गलत तरीके से हुआ है। ऐसे में यदि सभी चयनित अभ्यर्थियों की जांच होती है तो इसमें बड़ी गड़बड़ी आने की आशंका है।

AIIMS में वार्डबॉय, लेकिन कॉउन्सिल में नर्स पंजीकृत

विभागीय सूत्रों की माने तो सूची में कई अभ्यर्थी ऐसे भी हैं जो ऋषिकेश AIIMS व अन्य संस्थानों में वार्डबॉय या अन्य पदों पर कार्यरत हैं लेकिन उत्तराखंड नर्सिंग कॉउन्सिल में गलत तरीके से व तथ्य छुपाकर उनका पंजीकरण हो जाता है जिसके आधार पर यह कुछ अभ्यर्थी नर्सिंग अधिकारी की भर्ती में आवेदन करते हैं व चयन सूची में अपनी जगह बना लेते हैं।

डोईवाला तहसील से बने फर्जी डोमेसाइल

जिन फर्जी डोमेसाइल के मामले संविदा एवं बेरोजगार स्टाफ नर्सेज महासंघ के शिकायती पत्र से प्रकाश में आये हैं उनमे से अधिकतर डोमेसाइल / स्थायी निवास प्रमाण पत्र डोईवाला तहसील क्षेत्र में बने हैं। विभागीय सूत्रों की माने तो स्वास्थ्य निदेशालय की ओर से जिला प्रशासन को इन डोमेसाइल की जांच के लिए पत्र लिखा गया है।

संगठन को लगी खबर वंही विभाग सोता रहा –

एक तरफ जहां नर्सिंग संगठन ने नामजद 8 अभ्यर्थियों की शिकायत शासन को करी, वंही नर्सिंग काउंसिल व चिकित्सा चयन बोर्ड के अधिकारियों तक को इस घोटाले की आहट तक नही थी।

नियुक्ति देने से पूर्व पुनः दस्तावेजों की जांच

जहाँ एक तरफ चयनित अभ्यर्थियों को नियुक्ति पत्र जल्द से जल्द बांटने हेतु विभाग को राजनैतिक दबाव से झूझना पड़ रहा है वंही शासन की फटकार के बाद अब निदेशालय स्तर पर दस्तावेजों की जांच पुनः की जा रही है।

षड्यंत्र या लापरवाही, लेकिन हो कारवाई

इस घटनाक्रम को विभाग के जानकर षड्यंत्र / घोटाले से जोड़कर देख रहे हैं वंही कुछ अधिकारी गाज गिरने से बचने के लिए इसे लापरवाही का नाम दे रहे हैं। विभागीय सूत्रों की माने तो इस घटनाक्रम के पीछे एक राजस्थान स्तिथ एक सिंडिकेट का हाथ हो सकता है। जो पिछले दिनों भी कई बार चर्चाओं में आया है।

चिकित्सा चयन बोर्ड एक बार फिर जांच के दायरे में, कौन दे रहा है संरक्षण सवाल बरकरार –

नर्सिंग भर्ती करवाने वाले चयन बोर्ड की भूमिका भी जांच के दायरे में आ गई है। इससे पहले बोर्ड भर्तियों को लेकर विवादों में भी रहा है। इस दौरान यहां तैनात कुछ अधिकारियों को यहां से हटाए जाने की भी बात सामने आई है। हालांकि, इसकी स्थिति तभी स्पष्ट हो सकती है जब सरकार के द्वारा इसमें एक बड़े स्तर की निष्पक्ष जांच करवाई जाए।

पैसों की लेनदेन की ऑडियो व व्हाट्सएप चैट भी हुई थी वायरल

बता दें कि इस भर्ती को वरिष्ठता के आधार पर करवाए जाने से जुड़े कुछ ऑडियो पूर्व में भी वायरल हुए थे, जिसमें पैसों के लेनदेन तक की बात कही गई थी। इसके बाद कुछ व्हाट्सएप चैट भी सोशल मीडिया पर दिखाई दिए थे लेकिन आज भी स्थिति जस की तस है ना ही जांच हुई न ही ऑडियो में बात करने वाले शख्स की शिनाख्त हो सकी।