उत्तराखंड पुलिस और प्रांतीय रक्षा दल के जवानों में फिलहाल अंतर करना मुश्किल हो गया है। पुलिस की ही तर्ज पर पीआरडी के जवानों का पहनावा देख अधिकारी व आम जनता दोनों में फर्क नहीं कर पा रही है।
बता दें कि प्रांतीय रक्षा दखल के जवान अभी भी पुलिस की ही तर्ज पर खाकी पैंठ, शर्ट, काला जूता, नीली टोपी, नीला बेल्ट व डोरी पहन रहे हैं। जिससे कंधे पर लगे बैज पर ध्यान न जाए तो दोनों में अंतर नहीं किया जा सकता है।
यहां तक कि PRD जवानों ने अपनी वर्दी पर पुलिस का होलोग्राम भी लगाना शुरू कर दिया है जो कि असंवैधानिक है।
शासनादेश के अनुसार पीआरडी के जवान नीले रंग के बजाय खाकी रंग की टोपी, बेल्ट व बाजू में पहने जाने वाली डोरी धारण करेंगे।
जिले के थाने, कोतवाली व चौकियों में सिपाहियों के साथ ही होमगार्ड और पीआरडी (प्रांतीय रक्षक दल) के जवान भी डेली वेजज पर काम कर रहे हैं।
पुलिस थाना, कोतवाली, चौकी में ड्यूटी देने वाले कई पीआरडी कर्मचारी सिपाही की ही वर्दी पहन रहे हैं। जबकि उनकी वदी का रंग, कैप, बैल्ट, डोरी सिपाही की वर्दी से अलग है
नाम न छापने की शर्त पर कुछ पुलिसकर्मियों ने बताया कि सिपाहियों व पीआरडी कर्मचारियों में अंतर पहचानने के लिए दोनों की यूनिफॉर्म में अंतर रखा गया है। दोनों का रंग खाकी है, पर पीआरडी की वर्दी सिपाहियों की यूनिफॉर्म से कुछ फीके रंग की है।
साथ ही उनकी कैप, बैल्ट व डोरी भी खाकी होती है। जबकि सिपाहियों की ये तीनों चीजें नीले व काली रंग की तय हैं। बताया जा रहा है कि कई जगह पर पीआरडी के कुछ जवान भी सिपाहियों के रंग वाली यूनिफॉर्म पहनने के साथ ही नीले रंग की कैप, बैल्ट व डोरी लगा रहे हैं।
उक्त घटनाक्रम से पुलिस के जवानों में भी काफी रोष है, अब देखना होगा क्या इन पीआरडी जवानों पर कोई कार्यवाही होती भी है या फिर यह ढर्रा ऐसे ही चलता रहेगा।
पीआरडी की वर्दी को लेकर पिछले वर्ष जारी किया गया एक शासनादेश के अनुसार –
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