नगर निगम चुनाव से पहले कई पार्षदों की खुलेगी पोल, देहरादून में करीब 100 सफाईकर्मियों की तनख्वाह डकार गए कुछ पार्षद, अब होगी रिकवरी !!

नगर निगम की ओर से शहर की सफाई में लगाए गए कर्मचारियों के नाम पर करोड़ों के वेतन फर्जीवाड़े में अब जल्द कार्रवाई हो सकती है। जांच में फर्जी पाए गए 99 कर्मचारियों के नाम पर जारी किए गए वेतन की रिकवरी की तैयारी कर ली गई है। सीडीओ की जांच रिपोर्ट पर नगर निगम प्रशासक जिलाधिकारी सोनिका ने कार्रवाई के निर्देश दिए हैं। रिपोर्ट सार्वजनिक करने के साथ ही नगर आयुक्त की ओर से जल्द दोषियों पर कार्रवाई की जा सकती है। प्रकरण में कई जनप्रतिनिधियों के साथ ही सुपरवाइजरों के शामिल होने की आशंका है।

दरअसल, नगर निगम के सभी 100 वार्डों में साफ-सफाई के लिए स्वच्छता समितियां गठित की गई हैं। प्रत्येक वार्ड में गठित समिति में आठ से 12 सफाई कर्मचारी कार्यरत बताए गए हैं। ऐसे में शहरभर में यह संख्या एक हजार के करीब है। पूर्व में सफाई कर्मियों का वेतन स्वच्छता समिति को एकमुश्त आवंटित कर दिया जाता था, लेकिन बीते दो दिसंबर को बोर्ड भंग होने के बाद नई व्यवस्था बनाने का प्रयास किया गया। साथ ही कर्मचारियों के वेतन और पीएफ आदि में गड़बड़ी की शिकायत मिलने के बाद सीधे कर्मचारी के खाते में वेतन की धनराशि ट्रांसफर करने का निर्णय लिया गया। इसके लिए नगर निगम ने समितियों के एक-एक कर्मचारी की भौतिक उपस्थिति, आधार कार्ड और बैंक खाता संख्या जुटाए जा रहे हैं। निगम की टीम ने सत्यापन में पाया कि पूर्व उपलब्ध कराई गई सूची में से कई कर्मचारी नदारद हैं। उनके स्थान पर कोई अन्य व्यक्ति कार्य करते पाए गए। जिससे स्पष्ट है कि पूर्व में उपलब्ध सूची के अनुसार दिया जा रहा वेतन गलत व्यक्तियों को दिया जा रहा है वहीं कर्मचारियों की संख्या भी वास्तविक से अधिक बताई जा रही थी इस प्रकार प्रशासक ने सीडीओ को प्रकरण की जांच सौंपी। भौतिक सत्यापन और दस्तावेजों की जांच में पाया गया कि करीब 100 कर्मचारी ऐसे थे जिनके नाम निगम को उपलब्ध कराए गए थे लेकिन वह मौके पर थे ही नहीं इसकी जांच रिपोर्ट करीब एक सप्ताह पूर्व प्रशासक को सौंप दी गई थी । अब रिपोर्ट को सार्वजनिक करते हुए दोषियों से रिकवरी की तैयारी है।bv

नगर आयुक्त – गौरव कुमार

पार्षदों के पास का समितियां का अधिकार, प्रत्येक कर्मचारी के नाम पर हर माह 15000 रुपए होते थे जारी

बोर्ड भंग होने से पहले पार्षदों के पास ही स्वच्छता समितियां का अधिकार था। पार्षदों ने अपने वार्ड में समिति के अध्यक्ष और कोषाध्यक्ष के संयुक्त खाते खुलवाए जिनमे निगम की ओर से कर्मचारियों का वेतन ट्रांसफर किया जाता था। सूत्रों की माने तो समिति की ओर से कर्मचारियों को मनमाफिक नगद वेतन भुगतान किया जाता था। कहीं कहीं वेतन के तौर पर 15 हज़ार की जगह कर्मचारियों को दिया जाता था 8 हज़ार तो कहीं पार्षदों ने अपने रिश्तेदारों को ही सफाई कर्मचारी दर्शाकर तनख्वाह डकार ली।

नगर निगम चुनाव से पूर्व खुलेगी कई पार्षदों की पोल –

आगामी नगर निगम चुनाव से पूर्व जैसे ही उक्त जांच रिपोर्ट सार्वजनिक की जाएगी वैसे ही कई पार्षदों के कारनामों की भी पोल खुल जाएगी। सूत्रों की माने तो भाजपा व कांग्रेस दोनों पार्टी ने ही ऐसे दागदार पार्षदों का टिकट काटने का भी मन बना लिया है। जिसमे चुनाव में कम से कम फ़जीहत हो ।