प्रदेश दिन पर दिन जहां आपदा की घटनाएं बढ़ती जा रही है वंही दूसरी ओर आपदा महकमे से मुलाजिमों की संख्या भी घटती जा रही है। आलम यह है कि पिछले कुछ समय में करीब 15 कर्मचारियों ने या तो इस्तीफा देकर या फिर प्रोजेक्ट खत्म होने के उपरांत विभाग से अपना पिंड छुटा लिया है।
बता दें कि हाल ही में USDMA / आपदा विभाग के एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर डॉ पीयूष रौतेला व SEOC इंचार्ज मेजर राहुल जुगरान ने भी इस्तीफा दे दिया है। डॉ पीयूष रौतेला पिछले 22 वर्ष से तो मेजर राहुल जुगरान पिछले 16 वर्ष से आपदा विभाग में कॉन्ट्रैक्ट पर कार्यरत थे। जानकर बताते हैं कि इतने सालों बाद भी स्थायीकरण न होने व 2019 से कोई भी इंक्रीमेंट न मिलने के कारण दोनों ने यह बड़ा निर्णय लिया है। फिलहाल दोनों ही नोटिस पीरियड पर कार्यरत है व दोनों ही इसी माह 30 तारीख को विभाग को अलविदा कह देंगे।
आपदा बहुल प्रदेश उत्तराखंड में आपदा विभाग ही नही हो पाया स्थायी –
प्रदेश में एक तरफ विभन्न विभागों में कार्यरत संविदा कर्मचारियों को स्थायी कर दिया गया वंही हैरत की बात यह है कि आपदा बहुल प्रदेश उत्तराखंड का आपदा विभाग ही आज तक स्थायी नही हो पाया है। करोड़ों की लागत से आपदा विभाग की इमारत तो बना दी गयी लेकिन मुलाजिम को ना ही स्थायी किया गया न नही नवीन नियुक्त किया गया। आलम यह है कि अब वर्क लोड बढ़ने के कारण व स्थायीकरण न होता देख विभाग में मानो अब इस्तीफों की पतझड़ सी आ गयी है। कुछ ने इस्तीफा दे दिया है तो कुछ अब इस्तीफा देने की तैयारी में है।
मानसून काल में कैसे चलेगा आपदा विभाग
शासन स्तर पर फिलहाल यह स्पष्ट नही हो पाया है कि आगामी माह से एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर व SEOC का चार्ज व कार्य कौन देखेगा। मानसून सीजन में जहां प्रदेश भर में आपदा के प्रकरण बढ़ जाते वंही इन दोनों महवपूर्ण जिम्मेदारी को कौन संभालेगा फिलहाल शासन इसको लेकर काफी चिंतित है।
पहली बार हुई अकाउंटेंट की तैनाती –
आपदा महकमे में जनपद स्तरीय अधिकारी DDMO से लेकर प्रदेश स्तरीय कई अधिकारी कार्यरत हैं, जो आपदा के छेत्र में कुछ न कुछ विशेषता रखते हैं। इनको छोड़ विभाग में पहली बार आयोग से अकाउंटेंट की पक्की तैनाती कर दी गयी, लेकिन उक्त विभाग के विशेषज्ञ अब भी एडहॉक पर ही कार्यरत हैं।
यह भी दे चुके हैं इस्तीफा –
- भूपेंद्र भैसोड़ा – टेक्निकल मैनेजर (16 वर्षों से कार्यरत थे)
- डॉ गिरीश जोशी – DRM विशेषज्ञ (15 वर्षों से कार्यरत थे)
- शैलश घिल्डियाल – सिविल इंजीनियर (5 वर्षों से कार्यरत थे)
- दीपशिखा भट्ट – जिला आपदा अधिकारी (12 वर्षों से कार्यरत थी)
- मनोज पांडे – जिला आपदा अधिकारी (12 वर्षों से कार्यरत थे)
वर्ल्ड बैंक प्रोजेक्ट खत्म होते ही, इन्होंने भी छोड़ी नौकरी –
- सुरभि – GIS विशेषज्ञ (3 वर्षों से कार्यरत थी)
- डॉ नुतुन गुप्ता – पर्यावरण विशेषज्ञ (5 वर्षों से कार्यरत थे)
- डॉ आशीष अंथवाल – पर्यावरण विशेषज्ञ (8 वर्षों से कार्यरत थे)
- नूर तबसुम – सोशल एक्सपर्ट – (5 वर्षों से कार्यरत थी)
- डॉ मनीष सेमवाल – जियोलॉजिस्ट ( 8 वर्षों से कार्यरत थे)
- अमित शर्मा – सिस्टम एक्सपर्ट (5 वर्षों से कार्यरत थे)
- रोबिन अग्रवाल – IT एक्सपर्ट
- मनी जोई – GIS एक्सपर्ट
Editor