एक तरफ लाठीचार्ज प्रकरण में खुद की विभागीय जांच PHQ में पड़ी है लंबित, वंही दूसरी ओर उसी प्रकरण में बॉबी को फिर से जेल भेजने के लिए पुलिस ने खटखटाया कोर्ट का दरवाजा, आज आएगा फैसला !!

इसी वर्ष फरवरी माह में हुआ लाठीचार्ज प्रकरण तो आप सभी को याद ही होगा जब बेरोजगार संगठन अपनी मांगों को लेकर गांधी पार्क के सामने कई हजार छात्रों के साथ सड़क जाम कर धरने पर बैठ जाता है। तभी वहां अचानक से माहौल खराब होता है पुलिस ने लाठीचार्ज करती है और कुछ असमाजिक तत्वों ने भीड़ के बीच से पुलिस पर पथराव करते हैं। प्रकरण की गंभीरता देख उसी दिन शाम को संगठन के अध्यक्ष बॉबी पंवार व उनके साथियों पर मुकदमा दर्ज कर, जेल भेज दिया जाता है।

कुछ दिन बाद बॉबी अपने साथियों के साथ कंडीशनल बेल पर बाहर आते हैं व शांतिपूर्ण तरीके से धरना जारी रखते हैं।

इस प्रकरण की सबसे दिलचस्प बात यह है कि जिस प्रकरण में बॉबी को कंडीशनल बैल मिली है उसी कंडीशनल बेल के नियमों का हवाला देकर पुलिस ने हाल ही में कोर्ट का दरवाजा खटखटाकर बेल निरस्त करने की मांग की है। वंही दूसरी ओर उसी प्रकरण में महकमे के उच्चधिकारियों द्वारा मुख्यमंत्री के आदेशों के बाद शुरू की गयी जांच आज तक लंबित है।

DOON MIRROR को RTI से मिली जानकारी के अनुसार पता चला है कि पुलिस मुख्यालय स्तर पर आज तक लाठीचार्ज प्रकरण की जांच लंबित है जिसका निष्कर्ष अभी तक नही निकला है न ही उक्त प्रकरण की अंतिम विभागीय कार्यवाई रिपोर्ट शासन को सौंपी गई है।

बता दें कि पुलिस महकमे ने इस प्रकरण पर अपनी आंतरिक जांच के आधार पर घटना के जिम्मेदार कुछ पुलिसकर्मियों को इधर से उधर तो किया लेकिन मुख्यमंत्री के आदेशों व शासन के पत्राचारों से हुई जांच आतिथि न तो पूर्ण हुई है न ही कार्यवाई रिपोर्ट शासन को जमा की गयी है। जिस कारण शासन के पत्राचारों के अनुसार जांच लंबित है, और शासन को अभी तक यह नही बताया गया है कि किन किन जिम्मेदार पुलिसकर्मियों पर क्या क्या कार्यवाई हुई है।

अब सवाल यह खड़ा होता है कि एक तरफ जब पुलिस विभाग लाठीचार्ज प्रकरण की जांच में खुद किसी निष्कर्ष पर नही पंहुच पाया है तो दूसरी ओर उसी घटना में अभियुक्त बॉबी पंवार को पुनः जेल भेजने के लिए पुलिस महकमा किन परिस्थितियों ने कोर्ट में बेल रद्द करने की अपील कर रहा है।

आज कोर्ट सुनाएगा अपना फैसला

25 नवम्बर को हुई बहस के बाद कोर्ट ने अपना फैसला सुरक्षित रखा था। आज जिला कोर्ट दून पुलिस की अपील पर अपना फैसला सुनाएगा। बता दें कि 25 तारीख को पुलिस प्रशासन ने अपने अधिवक्ता के माध्यम से अपना पक्ष रख कोर्ट को बताया था कि बॉबी के बाहर रहने व धरना जारी रखने से कई प्रशासनिक अधिकारी व पुलिस कर्मियों की ड्यूटी उक्त स्थान पर लगाई जाती है जिससे समय व सरकारी धन खर्च व बर्बाद होता है।

अब देखना होगा कि जिला न्यायालय आज किसके पक्ष में फैसला सुनाती है।