उत्तराखंड सरकार ने आज कैबिनेट बैठक में बड़ा निर्णय लिया है जिससे अब शासकीय सेवा में पदोन्नति के दौरान शिथलीकरण के प्रकरणों में अब नए फार्मूला से लाभ मिलेगा।
बता दें कि कतिपय विभागों में पदोन्नति हेतु पोषक पद की कुल सेवाएं तथा मौलिक नियुक्ति के उपरान्त कुल सेवावधि पूर्ण किये जाने सम्बन्धी प्राविधान हैं। वर्तमान में प्रचलित अर्हकारी सेवाओं में शिथिलीकरण नियमावली में यह स्पष्ट नहीं किया गया है कि पोषक पद पर की गयी कुल सेवाओं पर शिथिलीकरण दिया जाना है या कुल सेवाओं पर दिया जाना है। इस समस्या का निराकणार्थ आज यह निर्णय लिया गया है कि पोषक पद पर परिवीक्षा अवधि को छोड़ते हुए. जितने वर्ष का शिथिलीकरण दिया गया, उतने ही वर्ष मौलिक नियुक्ति के उपरान्त कुल सेवाओं में से घटा दिये जायेंगे।
आसान भाषा मे समझे तो यदि किसी सेवा नियमावली में किसी निम्नतर पद से उच्चतर पद पर पदोन्नति हेतु न्यूनतम अर्हकारी सेवा निर्धारित हो और इसके साथ संवर्ग में अधीनस्थ पदों पर कुल की गयी सेवावधि भी निर्धारित हो तो ऐसे मामले में निम्नतर पद से उच्चतर पद पर पदोन्नति हेतु न्यूनतम अर्हकारी सेवा में 50 प्रतिशत की शिथिलता प्रदान किये जाने पर, इस प्रकार प्राप्त होने वाली शिथिलता की समय अवधि को, अधीनस्थ पदों पर सेवा की कुल अवधि में भी शिथिल कर दिया जायेगा
उदारहण के तौर पर एक AE को EE पर पदोन्नति हेतु कुल शासकीय सेवा (Length of Service) हेतु 18 वर्ष की सेवा व पोषक संवर्ग यानी वर्तमान पद पर 6 वर्ष की सेवा अहर्ता पूरी करनी है तो शिथलीकरण के दौरान अब उसे 3 वर्ष की पोषक संवर्ग सेवा में मिल जाएगी व कुल शासकीय सेवा (Length of Service) में भी 3 वर्ष की सेवा का लाभ मिल जाएगा। यानी शिथलीकरण के दौरान उक्त कर्मचारी को 15 वर्ष की कुल सेवा व पोषक संवर्ग में बस 3 वर्ष की सेवा ही चाहिए होगी।

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