तेजी से होगा अब तहसीलों में काम, प्रोमोशन से तहसीलदार तो सीधी भर्ती से NT के रिक्त पद भरने की तैयारी !!

पत्रावलियों व अतिरिक्त काम के बोझ के नीचे दबे मौजूदा तहसीलदार, नायब तहसीलदार व पटवारियों के लिए एक अच्छी खबर है। सोमवार 29 जुलाई को राजस्व परिषद रिक्त पड़े तहसीलदार के पदों के लिए डीपीसी आहूत करने जा रहा है।

बता दें कि इस वक्त पूरे प्रदेश में कुल स्वीकृत 114 पदों में से सिर्फ 5 तहसीलदार ही स्थाई हैं, बाकी तहसीलदार के 109 पदों पर नायब तहसीलदारों को ही अतिरिक्त प्रभार दिया गया है।

अब रिक्त पड़े 109 पदों के सापेक्ष राजस्व परिषद सोमवार 29 जुलाई को DPC बैठक आहूत करने जा रहा है, जिसमे अहर्ता पूरी कर रहे करीब 35 से 36 नायब तहसीलदारों को पदोन्नत कर तहसीलदार बना दिया जाएगा। राजस्व परिषद के अधिकारी यह भी बताते हैं कि इस प्रोमोशन के तुरंत बाद ही परिषद, पदोन्नति के कारण रिक्त हुए NT के पदों के लिए UKPCS को अधियाचन भेजेगा। जिससे रिक्त पद बिना किसी देरी के भरे जा सकें।

पटवारी पद पर भी बड़ी संख्या में रिक्तियां

मैदानी जिलों में लेखपाल तो पर्वतीय जनपदों में पटवारी के रूप में जाने जाते राजस्व उप निरीक्षक की पूरे प्रदेश में करीब 750 रिक्तियां चल रही है। राज्य भर में इनके करीब 1600 पद स्वीकृत हैं।

करीब 500 पटवारी ट्रैनिंग के बाद जनपदों के सुपर्द कर दिए जाएंगे –

नवंबर तक राज्य को करीब 500 पटवारी भी मिल जाएंगे। हाल ही में परीक्षा पास कर भर्ती हुए पटवारियों का नया बैच ट्रेनिंग पर है और नवंबर तक प्रशिक्षण पूरा कर इन्हें राज्य में तैनाती दिए जाने की उम्मीद है। इस नए बैच के तैनाती लेने के बाद राज्य में 150 पटवारियों की ही कमी रह जाएगी।

फिलहाल चल रही इन पदों पर काम चलाऊ व्यवस्था– 

राज्य भर में फिलहाल तहसीलदार और पटवारी पद पर बेहद ज्यादा रिक्ति के कारण काम चलाऊ व्यवस्था को अपनाया गया है। इसके तहत राज्य में नायब तहसीलदार को प्रभारी तहसीलदार के तौर पर जिम्मेदारियां दी गई है जबकि कई पटवारी को एक से ज्यादा क्षेत्रों की जिम्मेदारियां बांटी गई है।

तहसीलदार और पटवारी को भू-अभिलेख से इतर यह जिम्मेदारी भी दी गयी – राजस्व से जुड़े तमाम दूसरे कार्यों के अलावा प्रमाण पत्रों, पेंशन, सत्यापन जैसे कई कामों की जिम्मेदारी संभालते हैं। इस दौरान विभिन्न विभागों से जुड़े कार्यों को इनके द्वारा देखा जाता है। जाहिर है कि इस स्थिति में इन पर बेहद ज्यादा दबाव होता है और पद रिक्त होने की स्थिति में बोझ और भी ज्यादा बढ़ जाता है।