पाखरो प्रकरण में अब आया नया एंगल, न्यायालय ने पूर्व HOFF सिंघल को आपराधिक मानहानि का समन भेजा, भरतरी को ऐसे षड्यंत्र के तहत फ़साने का लगा आरोप !!

जैसे जैसे दिन कटते जा रहे हैं वैसे-वैसे पाखरो प्रकरण में नए नए सनसनीखेज खुलासे होते जा रहे हैं। बात करें आज के घटनाक्रम की तो पूर्व HOFF राजीव भरतरी के अपील पर  द्वारा चलाये जा रहे आपराधिक मानहानि वाद में आज पूर्व HOFF विनोद सिंघल को कोर्ट ने समन भेजा हैं।

यह समन धारा 200 के तहत वादी (राजीव भरतरी) के बयान व धारा 202 के तहत गवाहों (पूर्व ACF धनंजय प्रसाद व गजेंद्र रमोला) के बयानों बाद तृतीय अपर मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट देहरादून ने भेजा है व उक्त वाद पर पिछले 6 माह से सुनवाई जारी थी।

कोर्ट द्वारा जारी किए गए 15 पृष्ठों के आदेश के अनुसार वादी पूर्व HOFF राजीव भरतरी ने पूर्व HOFF विनोद सिंघल पर उनकी कुर्सी षड्यंत्र के तहत कब्जाने व उनकी छवि गलत तथ्यों के आधार पर खराब करने का गंभीर आरोप लगया है। राजीव ने कोर्ट को बताया कि किस प्रकार विनोद सिंघल द्वारा उन्हें जोशी जांच कमिटी रिपोर्ट में गलत तरीके से अभियुक्त बनाया गया जबकि उनका नाम 800 पन्नों की रिपोर्ट में कहीं भी नही था। राजीव ने बताया कि जोशी जांच कमिटी रिपोर्ट में उनका नाम व उनकी कार्यप्रणाली पर कोई भी आरोप नही लगे थे लेकिन जब पूर्व HOFF विनोद सिंघल ने शासन को उक्त जांच रिपोर्ट भेजी तो रिपोर्ट के कवरिंग लेटर में उनका नाम षड्यंत्र के तहत डाल दिया।

राजीव ने कोर्ट को यह भी बताया कि उक्त कृत्य होने से सभी अखबारों में कवरिंग लेटर के आधार पर खबर छपी जिससे उनकी विभाग व समाज में छवि धूमिल हुई है। राजीव ने यह भी कहा कि विनोद सिंघल ने ऐसा सिर्फ अपनी HOFF की कुर्सी बचाने के लिए करा है।

बता दें कि 6 माह से कोर्ट में चल रहे इस वाद में राजीव भरतरी द्वारा उक्त 800 पन्नो की जोशी जांच कमिटी रिपोर्ट प्रस्तुत की गई, जिसको तृतीय अपर मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट की कोर्ट ने गहनता से समीक्षा की व आज आदेश जारी कर पूर्व HOFF विनोद सिंघल को समन भेजा है व अगली तारीख 15 अक्टूबर को पेश होने के लिए कहा है।

अगर विनोद सिंघल पर लगे यह आरोप सत्य पाए जाते हैं तो आगामी दिनों में इस प्रकरण के साथ साथ CBI सहित अन्य जांच में भी विनोद की मुश्किलें बढ़ सकती है।

कोर्ट के आदेश के कुछ अन्य महत्वपूर्ण अंश-

आज जारी हुए 15 पृष्ठों के आदेश में कुछ ऐसी रौचक तथ्य लिखे हैं जिनपर अभी तक किसी भी जांच एजेंसियों का ध्यान नही गया है। अब कोर्ट का आदेश सार्वजनिक होने के बाद सम्भवतः CBI व अन्य जांच एजेंसी अब इस पहलू पर भी जांच कर सकती है।