लंबे समय से चल रही अटकलों के बीच अब स्थायी DGP पद को लेकर तस्वीर साफ होने लगी है। जहाँ एक तरफ UPSC ने राज्य सरकार को हाल ही में पत्र लिख रिव्यु डीपीसी व पैनल में संशोधन करने से मना कर दिया है, वंही अब राज्य सरकार भी UPSC के पैनल के बजाए अपने पुराने एक्ट से ही स्थायी डीजीपी पद पर नियुक्ति करने का निर्णय लेने जा रही है।
बता दें कि UPSC से आए पैनल में मौजूदा कार्यवाहक डीजीपी अभिनव कुमार का नाम न होने के क्रम में राज्य सरकार ने UPSC को रिव्यू डीपीसी करने व अभिनव कुमार का नाम पैनल में जोड़ने हेतु पत्र लिखा था। साथ ही साथ इस पत्र में अभिनव के पक्ष में कई दस्तावेज भी मुहिया कराए थे, लेकिन UPSC ने लौटती डाक से उत्तराखंड सरकार के इस प्रस्ताव को दरकिनार करते हुए अपने पैनल को यथावत रखने की बात अपने पत्र में लिखी है।
राज्य सरकार ने निकाला दूसरा रास्ता –
अभिनव के सर स्थायी डीजीपी का ताज सजाने के लिए अब उत्तराखंड सरकार भी कोर्ट के आदेश के अनुसार ही व उत्तरप्रदेश के तर्ज पर रणनीति अपनाने जा रही है। बस फर्क इतना है कि उत्तरप्रदेश में स्थायी डीजीपी की नियुक्ति नियमावली हाल ही में कैबिनेट से पास करवाई गई है लेकिन उत्तराखंड में यह नियमावली व प्रावधान पुलिस एक्ट 2007 में पहले से ही है। जिसके अनुसार राज्य सरकार स्वयं ही स्क्रूटनी समिति / चयन समिति का गठन कर DGP का चयन कर सकती है।
उत्तराखंड सरकार जल्द गठित कर सकती है चयन समिति –
उत्तराखंड सरकार अब UPSC के पैनल प्रक्रिया दरकिनार कर उत्तराखंड पुलिस एक्ट 2007 में सूक्ष्म संशोधन कर स्थायी डीजीपी का चयन करने का मन बना रही है। जिस क्रम में जल्द ही चयन समिति का गठन भी कर दिया जाएगा। बात करें उत्तरप्रदेश की तो वहां चयन समिति में अध्यक्ष – उच्च न्यायालय के सेवानिवृत्त न्यायाधीश व सदस्य के तौर पर सचिव गृह, उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग के अध्यक्ष या उनके नामित प्रतिनिधि, उत्तर प्रदेश सार्वजनिक सेवा आयोग के सदस्य एवं कोई भी सेवानिवृत पुलिस महानिदेशक को समिति में रखा गया है।
अभिनव कुमार ने सचिव गृह को लिखा पत्र –
इसी बीच अब कार्यवाहक DGP अभिनव कुमार ने भी सचिव गृह को पत्र लिख कहा है कि प्रदेश में हाल में अपनाई जा रही व्यवस्था में संघ लोक सेवा आयोग एवं गृह मंत्रालय के निर्णायक भूमिका है, जो मेरे विचार में संवैधानिक व व्यावहारिक दृष्टिकोण से उचित नहीं है। उत्तराखंड में भी उत्तर प्रदेश के तर्ज पर महानिदेशक की नियुक्ति की जाए, जिससे महानिदेशक की नियुक्ति में पारदर्शिता और स्वायत्तता के साथ ही राज्य सरकार की निर्णायक भूमिका भी सुनिश्चित हो सके। साथ ही साथ उत्तर प्रदेश द्वारा उठाए गए प्रगतिशील कदमों से प्रेरित होकर पुलिस बल की स्वतंत्रता और अखंडता को बनाए रखने के लिए उत्तराखंड राज्य के लिए भी विधि अनुसार नियुक्ति नियम यथाशीघ्र सुनिश्चित की जाए।
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