उत्तराखंड में विकास कार्यों और खेती किसानी के लिए अब पेड़ों को काटने में दिक्कत नही आएगी। राज्य सरकार ने लोगों की परेशानी को देखते हुए ट्री-प्रोटेक्शन ऐक्ट में बदलाव का निर्णय लिया है।
प्रदेश में बिना अनुमति निजी भूमि से पेड़ काटने पर अब कारावास की सजा नहीं होगी। मंत्रिमंडल ने उत्तर प्रदेश वृक्ष संरक्षण अधिनियम 1976 के प्रावधानों में संशोधन के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है। अधिनियम में पेड़ काटने पर पांच रुपये जुर्माना और छह महीने की सजा का प्रावधान है। इसमें सजा को हटाकर जुर्माने को पांच हजार रुपये प्रति पेड़ कर दिया गया है।
वन मंत्री सुबोध उनियाल ने गुरुवार को सदन में बताया कि सरकार जल्द ट्री प्रोटेक्शन ऐक्ट में बदलाव करने जा रही है। इससे कुछ प्रजातियों के पेड़ों को छोड़ अन्य पेड़ों को काटने के लिए इजाजत नहीं लेनी पड़ेगी। उन्होंने कहा कि इससे उत्तराखंड के लोगों को बड़ी राहत मिलेगी और लोग अपनी जरूरत के अनुसार पेड़ों को काट सकेंगे।
यह होंगे प्रमुख बदलाव
● पेड़ काटने पर अब कारावास नहीं होगा, इसके स्थान पर आर्थिक जुर्माने का प्रावधान किया जाएगा
● मामले कोर्ट की बजाए डीएफओ कोर्ट में सुने जाएंगे, पेड़ काटना गैरजमानती अपराध नहीं होगा
● वनीकरण के लिए विशेष प्रोत्साहन दिए जाएंगे
उत्तराखंड में ट्री प्रोटेक्शन ऐक्ट के तहत अभी 27 प्रजातियों को ही काटने की इजाजत है। अन्य सभी प्रजाति के पेड़ों को काटने पर रोक है। इस वजह से लोगों को पेड़ काटने की इजाजत नहीं मिल पा रही है। सदन में वन मंत्री सुबोध उनियाल ने कहा कि यूपी ट्री प्रोटेक्शन ऐक्ट काफी पुराना हो गया है। ऐसे में इसमें लंबे समय से बदलाव की जरूरत महसूस की जा रही थी।
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