धीरे धीरे खुल रही नगर निगम में वित्तीय अनियमितताओं की परतें, जांच में कुछ पार्षदों के नाम आये सामने, कानूनी कार्यवाही की तैयारी में नगर निगम प्रशासन !!

नगर निगम के वार्डों में नई पार्षद स्वच्छता समिति के जरिये एक हजार से ज्यादा कर्मचारियों की भर्ती और वेतन भुगतान को लेकर नगर स्वास्थ्य अनुभाग ने प्राथमिक जांच पूरी कर ली है। क्रॉस जांच के दौरान ड्यूटी पर नहीं आने वाले लगभग सौ कर्मचारियों को नगर निगम ने बाहर का रास्ता दिखाने का निर्णय लिया है। इसके अलावा जो कर्मचारी मौके पर काम कर रहे हैं, उनको नगर निगम आउटसोर्स कंपनी के माध्यम से सीधे खातों में वेतन जारी करेगा। प्रत्येक कर्मचारी को पीएफ और ईएसआई की सुविधा भी दी जाएगी।

प्रबंधन को शिकायत मिली थी कि सौ वार्डों में नई पार्षद समिति के माध्यम से जो सफाई कर्मचारी रखे गए हैं, उनमें से कई केवल कागजों पर काम कर रहे हैं। वेतन भुगतान में भी अनियमितता सामने आई। सूत्रों के मुताबिक प्रशासक नगर निगम सोनिका के आदेश पर मुख्य नगर स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. अविनाश खन्ना ने समस्त सफाई इंस्पेक्टरों से सौ वार्डों में नई समिति के तहत कार्य करने वाले 1,053 सफाई कर्मचारियों को लेकर मस्टररोल के साथ ग्राउंड रिपोर्ट सौंपने के निर्देश दिए थे।

प्राथमिक जांच में पता चला कि सौ से अधिक कर्मचारी ऐसे हैं, जो ड्यूटी पर नहीं आ रहे। उनकी सेवाएं समाप्त करने का निर्णय लिया गया। अन्य को पीएफ और ईएसआई की सुविधा देने के साथ अब नगर निगम बैंक खातों में वेतन देगा। इंस्पेक्टर और सुपरवाइजर नियमित रूप से मस्टररोल में हाजिरी लगाना सुनिश्चित करेंगे। इसके अलावा वित्तीय अनियमितताओं की जांच रिपोर्ट सीडीओ द्वारा प्रशासक व जिलाधिकारी सोनिका को सौंपी जाएगी।

एक वार्ड में वेतन भुगतान पर तत्काल प्रभाव से रोक: नगर निगम के एक वार्ड को लेकर नगर स्वास्थ्य अनुभाग को लिखित शिकायत मिली है कि वहां निगम के स्तर से जांच के आदेश जारी होते ही कुछ नए कर्मचारियों को आनन फानन नौकरी पर रखा गया है। इसलिए इस वार्ड में पंजीकृत किसी भी कर्मचारी को फिलहाल वेतन जारी करने पर रोक लगा दी गई है। इस वार्ड में कर्मचारियों की भर्ती और वेतन भुगतान की जांच की जा रही है।

प्रतिमाह ढाई हजार रुपये जारी करने पर भी रोक

नगर स्वास्थ्य अनुभाग की ओर से हर पार्षद समिति को प्रतिमाह उपकरण के लिए ढाई हजार रुपये का भुगतान किया जा रहा था, जिस पर अब रोक लगा दी गई है। अफसरों का दावा है कि इससे हर महीने सत्रह से अठारह लाख रुपये की बचत होगी। दूसरी ओर, आउटसोर्स कंपनी के माध्यम से नौ सौ कर्मचारियों को वेतन का भुगतान किया जाता है तो हर माह वेतन के रूप में जारी होने वाली डेढ़ करोड़ की राशि पर पांच प्रतिशत सर्विस चार्ज कंपनी को देना पड़ेगा।