देहरादून सहित विभिन्न जनपदों में इंस्पेक्टर के थानों में बैठाए गए दरोगा वंही अंडर ट्रांसफर को भी मिला हुआ चार्ज, PHQ के आदेश सिर्फ खानापूर्ति कोई, जनपद से लेकर रेंज तक कोई नहीं मानता !!

जहां एक तरफ पुलिस मुख्यालय ने बड़ी बड़ी बात कहकर शासन को लंबा चौड़ा प्रस्ताव भेजकर उपनिरीक्षक स्तर के 58 थानों को निरीक्षक स्तर के थानों में उच्चीकृत करवाया वंही अब विभिन्न जनपदों में उन्ही उच्चीकृत थानों में वर्तमान स्तिथि जस की तस बनी हुई है, आज के समय में उपनिरीक्षकों के हाथ में ही थाने की कमान है। जबकि पुलिस मुख्यालय आदेश को अमल कराने के लिये बार बार पत्र लिखता रहा।

जानकारी के लिए बता दें कि हाल ही में 58 दारोगाओं को पदोन्नति का फायदा पंहुचाने के क्रम में महकमे व शासन ने बड़ी बड़ी बातों का हवाला देते हुए 58 थानों को कोतवाली (निरीक्षक स्तर के थाने) में उच्चीकृत कर दिया था। उन 58 में से अधिकांश थानों में खासम खास उपनिरीक्षक ही तैनात किए गए हैं।

इन बिंदु को आधार बनाकर PHQ ने शासन से बढ़वाए थे 58 पद, लेकिन पुलिस महकमे ने इन पदों पर फिर भी नियुक्त किये हुए उपनिरीक्षक

IG कार्मिक ने किए आदेश, लेकिन कप्तानों के कान में जूं न रेंगी –

कुछ रोज पूर्व ही IG कार्मिक योगेंद्र रावत ने बाकायदा आदेश जारी कर समस्त कप्तानों को इंस्पेक्टर के थानों में निरीक्षक रैंक का ही अधिकारी नियुक्त करने के निर्देश दिए थे व अनुपालन आख्या भी पुलिस मुख्यालय को जमा करवाने के लिए आदेश जारी किए गए थे।

अनुपालन आख्या तो छोड़िए कप्तानों ने IG कार्मिक का ही वह पत्र फाइलों के दबा दिया न ही उस पत्र पर देहरादून सहित विभिन्न जनपदों में कोई कार्यवाई हुई न इसका असर दिखा। जो यह दर्शाता है कि कुर्सी की हनक ने कैसे कुछ कप्तानों ने पुलिस महकमे की पदानुक्रम को ठेंगा दिखाया हुआ है।

अंडर ट्रांसफर निरीक्षक व उपनिरीक्षक के पास भी चार्ज बरकरार –

विभिन्न जनपदों में कप्तानों के खासम-खास बने हुए कुछ निरीक्षकों व उपनिरीक्षकों के ट्रांसफर अन्य जनपद हो जाने के बावजूद भी ट्रांसफर काटे बगैर ही उक्त उसी जनपद में मलाईदार कुर्सी पर विराजमान है। इन कोतवाल व दारोगाओं की पंहुच इतनी है कि महकमे के बड़े बड़े अधिकारी भी इनको कुछ भी बोलने से बचते नजर आते हैं। पुलिस महकमे में इस स्तर की अनुशासनहीनता विभाग के हर एक कर्मचारी के जबान पर है। जिस कारण से विभाग के निष्ठावान अधिकारियों व कर्मचारियों का मनोबल दिन प्रतिदिन खत्म होता जा रहा है।