अगले कुछ दिनों में जमींदोज हो जाएगा 85 साल पुराना देहरादून का कनॉट प्लेस !!

एक सदी में इतिहास का गवाह रहा देहरादून का ”कनॉट प्लेस”, अब अतीत के पन्नों में ही सिमट कर रह जाएगा। 14 सितम्बर को इस बिल्डिंग को खाली करवाने के साथ ही इसे गिराने की करवाई भी शुरू होगी। दिल्ली में स्थित कनॉट प्लेस की तर्ज पर बना देहरादून का ”कनॉट प्लेस” व्यवसायिक एवं व्यापारिक केन्द्र है।

आपको बता दें कि ब्रिटिश काल में देहरादून के धनी और बैंकर्स रहे सेठ मनसाराम ने ही देहरादून में कनॉट प्लेस का निर्माण कराया था। इस ऐतिहासिक इमारत को बनाने का सपना, सेठ मनसाराम ने दिल्ली में स्थित कनॉट प्लेस की बिल्डिंगों की डिजायन से प्रभावित होकर तैयार किया था। जिसके लिए मनसाराम ने बॉम्बे से आर्किटेक को बुलाया था, और इसके निर्माण के लिए सेठ मनसाराम ने भारत इन्स्योरेन्स से 1 लाख 25 हजार रूपये लोन भी लिया था।

1930 से 1940 के दशक में देहरादून की पहली तीन मंजिला इमारत थी कनॉट प्लेस, इस ऐतिहासिक इमारत में 150 से अधिक भवन और 70 से ज्यादा दुकाने बनायी गयी थी।

इस इमारत को देहरादून में एक व्यापारिक और व्यवसायिक केंद्र बनाने की मंशा से सेठ मनसाराम ने तैयार किया था, लेकिन बिल्डिंग तैयार होने के बाद सेठ मनसाराम भारत इन्स्योरेन्स का 1 लाख 25 हजार रुपये का लोन वापस नहीं कर पाए और बैंक करप्ट हो गये। जिसके बाद उनकी कई सम्पति को भारत इन्स्योरेंश कम्पनी ने अपने कब्जे में ले लिया, जिसमे देहरादून के कनॉट प्लेस भी शामिल है, जो बाद में LIC के पास चले गयी और तब से अब तक इमारत में रहने वाले लोगों और LIC के बीच लड़ाई चल रही है।

इस इमारत में करीब 82 साल से दुकान चला रहे भीम सेन बताते हें कि 24 रूपये किराये पर उनके पिता ने मनसाराम से दुकान किराए पर ली थी। तब से ये दुकान उनके पास है, लेकिन LIC उनको बहार करने के लिए हर कोशिशें कर रही है। मुश्किल यह है कि इस उम्र में वो कहां जाएं। इस बिल्डिंग में भीम सेन जैसे कई लोग रह रहे हैं जो अपनी रोजी रोटी चला रहें हैं।

एसएसपी दलीप सिंह कुंवर का कहना है कि मामले में सुप्रीम कोर्ट से आदेश जारी हुए हैं। जिसपर जल्द कार्रवाई की जाएगी। 14 सितम्बर से बिल्डिंग को खली करवाया जाएगा।

वंही इतिहासकार लोकेश ओरी भी बताते हैं कि ये इमारत एक ऐतिहासिक धरोहर है और राज्य सरकार को इस घरोहर को बचाने का प्रयास करना चाहिए, जिससे कई दशकों का इतिहास बचा रहे, और मनसाराम जैसे लोगों की याद भी दिलाता रहे। जिसके लिए इस बिल्डिंग का रेट्रोफिटिंग करवाना चाहिए। पहले 138 साल पुराना डाक बंगला और अब करीब 85 साल पुरानी ऐतिहासिक इमारत को ध्वस्त करने की तैयारी चल रही है।

एसडीसी फाउंडेशन के संस्थापक अनूप नौटियाल इस विषय पर ट्वीट कर, कहते हैं कि