कहते हैं न एक मछली पूरे तालाब को गंदा कर देती है ऐसी ही कुछ मछलियां आज कल शासन का माहौल खराब करने में लगी हुई है। यह मछलियां पिछले कुछ सालों में इतनी बड़ी हो गयी है कि विभागीय सचिव से लेकर उच्च स्तर के शासक भी इनके कारनामों पर आंखे मूंदे हुए हैं।
बात करें शिकायत व कार्यवाही की तो अभी तक शासन के किसी SO (सेक्शन ऑफिसर) व PS (पर्सनल सेक्रेटरी) कैडर के कर्मचारी पर कोई भी बड़ी करवाई नही हुई है, कभी कभार शिकायतों के आधार पर कार्य स्थल जरूर बदल दिया जाता है लेकिन कुछ समय बाद यह डिफॉल्टर्स कर्मचारी नवीन तैनाती में भी धंधा जमा लेते हैं।
हाल ही में सचिवालय के सचिवालय प्रशासन विभाग को कुछ कर्मचारियों की शिकायत जरूर मिली थी लेकिन जांच व आख्या अवलंबन के कारण अभी तक कोई बड़ी कार्यवाई उनपर नही हो पाई है। वंही उत्तराखंड के इतिहास में विजिलेंस ने विभिन्न भ्रष्टाचारी अधिकारियों पर नकेल जरूर कसी लेकिन आज तक शासन की चौखट न पार कर सखी। जिस कारण शासन में भ्रष्टाचार मुक्त कार्यप्रणाली का न तो माहौल बन पाया न ही आज तक कोई नजीर पेश हो पाई। मठाधीशी खत्म करने के लिए उत्तरप्रदेश की तर्ज पर सचिवालय ट्रांसफर एक्ट लाने की बातें तो कई बार कही गयी लेकिन आज तक ऐसा न हो सका।
शासन का एक अपर सचिव तक इनसे पीड़ित-
अपने पदोन्नति से जुड़े प्रकरण में शासन में तैनात एक अपर सचिव भी इस वसूली गैंग से पीड़ित है। कुछ माह पूर्व ही उक्त अपर सचिव द्वारा गलत कृत्यों से आहत होकर एक SO सेक्शन ऑफिसर के खिलाफ मुख्य सचिव को शिकायती चिट्ठी लिखनी पड़ी व उस SO सेक्शन ऑफिसर के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्यवाई तक कि मांग करी थी। जिसपर फिलहाल सचिवालय प्रशासन विभाग जांच कर रहा है लेकिन शासन का एक धड़ा उस SO सेक्शन ऑफिसर को बचाने में भी लगा हुआ है।
एक PS ऐसा भी जो जेब से तक छीन लेता है पैसे-
शासन में एक PS कैडर का कर्मचारी ऐसा भी है जो अपने सचिव के नाम पर कई लोगों को चूना लगा चुका है। पिछले कुछ दिनों में उक्त कर्मचारी द्वारा जेबों से पैसे निकालने व हाथों से पैसे छीनने तक के कृत प्रकाश में आये हैं। DOON MIRROR को अपनी पड़ताल में यह भी पता चला है कि सिर्फ अपने फायदे के लिए प्रत्येक फ़ाइल को सचिव से अनुमोदन करवाने तक के लिए भी RO व SO पर विभिन्न तरह का दबाव बनाया जाता है।
हर कार्य का है फिक्स मेन्यू कार्ड –
शासन के दो से तीन PS व SO ने तो कार्य अनुसार एक रेट लिस्ट तक बना रखी है। डीपीसी, पदोन्नति, टेंडर वर्क, ट्रांसफर जैसे समस्त कामों के लिए एक उचित दाम भी तय किया हुआ है।
वंही अब देखना होगा कि उत्तरप्रदेश की तर्ज पर कब होती है उत्तराखंड सचिवालय में भी विजिलेंस की एंट्री।
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