परिवहन विभाग की संशोधित वाहन खरीद नीति पर वित्त विभाग ने मंजूरी दे दी है, जो कि अब कैबिनेट बैठक में लाने की तैयारी है।
परिवहन विभाग ने 2016 में जो नीति बनाई थी, उसमें चार श्रेणियों में वाहन खरीद के लिए अधिकतम मूल्य तय किया गया था। इस बार विभाग ने पांच श्रेणियां बना दी है।
- A-श्रेणी में कैबिनेट मंत्री, मुख्य सचिव, जज, अपर मुख्य सचिव व पुलिस महानिदेशक, वन विभाग के हॉफ आदि के लिए वाहन की कीमत की सीमा 15 लाख से बढ़ाकर 25 लाख प्रस्तावित की गई है।
- B-श्रेणी में प्रमुख सचिव स्तर के अधिकारियों के लिए वाहनों की कीमत 12 लाख से बढ़ाकर 20 लाख प्रस्तावित की गई है।
- C-श्रेणी में डीएम, विभागाध्यक्षों, सीनियर पुलिस अधिकारियों के लिए वाहन की कीमत की सीमा आठ लाख से बढ़ाकर 18 लाख प्रस्तावित की गई है।
- उनसे अधीनस्थ अधिकारियों के लिए D-श्रेणी में वाहन कीमत की सीमा 6 लाख से बढ़ाकर 15 लाख प्रस्तावित की गई है।
- जिलों के एसडीएम, तहसीलदार आदि अधिकारियों के लिए E-श्रेणी में वाहन कीमत की सीमा 12 लाख प्रस्तावित की गई है।
वाहन खरीद नीति में निजी वाहनों के इस्तेमाल पर वर्ष 2016 की नीति में तय दरों को दोगुना तक का प्रस्ताव किया गया है। पहले यह राशि मासिक 23 हजार से 17 हजार रुपये तक थी। जिसे 51 हजार से 34 हजार रुपये तक करने का प्रस्ताव है। परिवहन विभाग का कहना है कि 2016 से डीजल-पेट्रोल के दाम दोगुने तक बढ़ चुके हैं। वाहनों की कीमत भी बढ़ी हैं। इसके चलते ये सिफारिशें की गई हैं।
निजी वाहन के तेल के खर्च में भी वृद्धि का प्रस्ताव –
- प्रमुख सचिव, कमिश्नर, पुलिस महानिरीक्षक, एपीसीसीएफ और समकक्ष 51,590 रुपये मासिक
- विभागाध्यक्ष, अपर सचिव, डीएम, सीडीओ और अन्य समकक्ष 48,180 रुपये प्रतिमाह
- अन्य अधिकृत अधिकारी, निदेशालय-निगमों के अधिकारी व उनके समकक्ष 41,259 रुपये प्रतिमाह
- जिला स्तरीय अधिकारी 34,287 रुपये प्रतिमाह

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